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गोलू-मोलू और गौरैया  (गौरैया दिवस 20 मार्च पर विशेष बालकथा)

गोलू-मोलू और गौरैया  (गौरैया दिवस 20 मार्च पर विशेष बालकथा)

गोलू और मोलू आपस में गहरे दोस्त थे। दोनों एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते थे। लेकिन वे शैतानी खूब करते थे। गोलू के घर के सामने एक शमी का वृक्ष था, उसी पर गौरैया ने घोंसला बना रखा था। घोंसले में गौरैया के दो चूजे भी थे। गोलू की माँ शैलजा गौरैया का बेहद खयाल रखती थीं। गर्मियों में वह गौरैया के लिए मिट्टी की वर्तन में पानी भर कर रखती थीं। घोंसले में पके चावल भी उसे खाने को रख देती थी। जब वह भोजन पकाती तो गौरैया उनके आटे की बनाई लोई से चोंच मार कुछ आटे लेकर फुर्र हो जाती और चूजों को खिलाती। गोलू की मां भोजन खाने बैठती तो गौरैया उनके पास आती और उनकी थाली से पकके हुए चावल आराम से निगलती। दोपहर जब उनके खाने का वक्त हो जाता तो वह माँ आसपास मड़राने लगती। गौरैया और गोलू की माँ आपस में गहरी अच्छी दोस्त थीं।
एक दिन गोलू और मोलू आखिरकार अपनी शैतानी दिखा ही दिए। जब गौरैया चूजों के लिए चारा चूंगने घोंसले से बाहर थी तो दोनों एक-एक चूजों को उठा ले गए। उनकी इस शैतानी को गौरैया ने देख लिया था। वह जोर-जोर से चीं-चीं का शोर मचानाने लगी। गौरैया गोलू और मोलू के आसपास मड़राने लगी। गोलू और मोलू चूजों को छत पर रखे एक कार्टून में रख दिया। बेचारी गौरैया चीं-चीं का शोर मचाती बार-बार उस कार्टन तक आती, लेकिन चूजों को घोंसले तक वापस नहीं ला सकती थी, क्योंकि अभी चूजों के पास पंख नहीं थे।
गौरैया गोलू और मोलू की शिकायत करने उसकी माँ शैलजा के पास पहुंच गयी। वह जोर-जोर से चीं-चीं का शोर मचाने लगी और जहां-जहां गोलू की मां जाती वह उनके आगे-पीछे जाती और उन्हें चोंच मारती। इसके बाद गोलू के सिर पर पंख फैलाकर चीं-चीं करती। शैलजा को समझ में आ गया कि गोलू ने जरुर कोई शैतानी गौरैया के साथ की है।
"गोलू बेटे, जीं मां, तुमने गौरैया को कुछ नुकसान पहुंचाया है क्या" नहीं मां ऐसी बात नहीं है गोलू ने कहा था।
"फिर गौरैया तुम्हारी शिकायत क्यों कर रही है। वह बार-बार मेरे पास आ रही है और तुम्हारे सिर पर पंख फैलाकर शोर क्यों मचा रही है"। गौरैया अपनी भाषा में चीं-चीं का शोर मचाती गोलू की मां को घोंसले तक चलने का इशारा कर रही थी। गौरैया घोंसने तक जाती और फिर माँ तक आती। गोलू की मां समझ गईं थीं कि घोंसले में गौरैया के चूजे नहीं हैं। क्योंकि गौरैया की मौजूदगी के बाद भी वे चीं-चीं नहीं कर रहे थे। गोलू की मां अब उसकी शैतानी को समझ गईं थीं। उन्होंने गोलू को डाट लगायी तो वह टूट गया और रोने लगा। उसने कहा "जी, मां। मैं ने और दोस्त मोलू ने गौरैया के चूजे को छत पर रखे कार्टन में रख दिया है"।
मां ने कहा "गोलू तुमने बड़ा गुनाह किया है। क्या तुम मेरे बगैर रह सकते हो। तुम्हें भूख और प्यास नहीं लगेगी। अब मैं तुझे अकेला छोड़ कर मामा के यहां चली जाउंगी"। मां की बात सुनकर गोलू रोने लगा। उसने कहा "नहीं मां तुम ऐसा नहीं कर सकती, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाउंगा"। मां ने कहा था "जब तुम मेरे बिना नहीं रह सकते हो तो चूजे अपनी मां के बिना कैसे रहेंगे ? उन्हें तो अभी पंख भी नहीं निकले हैं। वह कल से भूखे और प्यासे हैं"। तभी उसका दोस्त मोलू भी आ गया। अब दोनों की पोलखुल गई थी। अब दोनों को मां की डाट के बाद गलती का एहसास हो गया था। मां छत पर चढ़ गौरैया के दोनों चूजों को घोंसले में लाकर रख दिया था। चूजे गौरैया की चहचहाहट सुन चीं-चीं का शोर मचाने लगे थे। गोलू अब मां के आंचल में छुप कर रो रहा था और कह रहा था मां अब हम दोनों ऐसी गलती कभी नहीं करेंगे हमें माफ कर दो।
(लेखक - प्रभुनाथ शुक्ल)

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