मिसीसिपी । अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अपने मेगा-रॉकेट की कोर स्टेज को टेस्ट किया। 'हॉट फायर' कहे जाने वाले इस टेस्ट में चार आरएस-25 इंजिन टेस्ट किए गए। करीब 8 मिनट तक इन्हें चलाया गया। इतना ही समय अपर-स्टेज रॉकेट और ऑर्बिट में स्पेसशिप को डिलीवर करने के लिए लगेगा। रॉकेट टेस्ट के दौरान टेस्ट स्टैंड से धुएं का गुबार निकला और जब इंजन में ईंधन पूरी तरह से जल गया तब टेस्ट कंट्रोलर्स ने खुशी प्रकट की। टेस्टिंग प्रोग्राम के मैनेजर बिल व्रोबल ने कहा परीक्षण के दौरान एकत्र आंकड़ों का अध्ययन किया जाएगा, लेकिन तालियों से पता चलता है कि टीम को कैसा लग रहा है। जब तक डेटा में कोई समस्या नहीं दिखती है, इस टेस्ट को सफल माना जाएगा और इसे नासा के कोर स्टेज एजेंसी के चांद पर जाने वाले रॉकेट में फिट करने के लिए तैयार माना जाएगा।
इस रॉकेट का नाम स्पेस लांच सिस्टम (एसएलएस) है, जो एजेंसी के एर्टेमिस प्रोग्राम का हिस्सा है। इसके जरिए 1972 के बाद पहली बार इंसान को चांद पर भेजा जाएगा और चांद की कक्षा में स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी की जाएगी। सबसे पहले एसएलएस को बिना ऐस्ट्रोनॉट के चांद पर भेजा जाएगा और वापस भी आएगा। इस मिशन एर्टेमिस 1 मिशन को साल के आखिर से पहले लॉन्च किया जा सकता है।
एसएलएस के प्रोग्राम मैनेजर जॉन हनीकट ने बताया कि कोर स्टेज में ए प्लस मिला है। अब तक इस टेस्ट में एक चीज देखी गई कि एक इंजन के कॉर्क इन्सुलेशन में आग लग गई। हालांकि, हनीकट का कहना है कि फ्लाइट के दौरान ऐसा नहीं होगा क्योंकि रॉकेट अपने इंजन पर बैठा नहीं रहेगा और आसमान में निकल जाएगा। रॉकेट का कोर स्टेज एसएलएस का सबसे बड़ा हिस्सा होता है और इसकी स्ट्रक्चरल बैकबोन भी यही होता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली रॉकेट स्टेज है। 212 फुट का यह स्टेज मिसिसिपी के स्टेनिस स्पेस सेंटर में टेस्ट किया गया। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि स्टेज के इंजन लॉन्चपैड से धरती की कक्षा तक का सफर तय कर सकेंगे। अगर डेटा भी इस पर मुहर लगाता है तो नासा इसे अप्रैल में फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर ले जाएगा जहां एलएसएस का बाकी हिस्सा रखा है।
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नासा ने सबसे शक्तिशाली रॉकेट की कोर स्टेज को टेस्ट किया, प्रयोग की सफलता पर जताई खुशी