मुंबई । मुंबई में व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या का केस सुलझाने का दावा करते हुए महाराष्ट्र एटीएस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। एटीएस ने इस मामले में निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे को मुख्य आरोपी बनाया है। एटीएस ने इस मामले में एक पुलिसकर्मी विनायक शिंदे और एक सट्टेबाज नरेश गौर को गिरफ्तार किया है। एटीएस से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई पुलिस के निलंबित अधिकारी सचिन वझे ने अपराध में मुख्य भूमिका निभाई थी। एटीएस अधिकारी ने दिन में सट्टेबाज का नाम नरेश धरे बताया था, लेकिन बाद में उसका नाम नरेश गौर बताया। उन्होंने बताया कि शिंदे 2006 के लाखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले का दोषी है और वह पिछले ही साल फर्लों पर जेल से रिहा किया गया है। उसके बाद से ही विनायक शिंदे वझे के संपर्क में आया था।
शिंदे मई 2020 से रिटायर्ड एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में सचिन वझे के साथ काम करता था। एटीएस को शक है कि इस मामले में कई पुलिसकर्मी शामिल हो सकते हैं। एटीएस के अनुसार, वझे ने ही मनसुख के मारने को कहा था, लेकिन हत्या के समय वह वहां खुद मौजूद नहीं थे। एटीएस ने वझे और अन्य की मनसुख से बातचीत की कॉल रेकॉर्ड के आधार पर संदिग्धों को पकड़ा है। गौर और शिंदे को एटीएस कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें 30 मार्च तक की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है।
एटीएस चीफ जयजीत सिंह ने बताया कि बुकी गौर ने पांच सिम कार्ड खरीदे थे और उसे शिंदे को दे दिया था जो वझे के संपर्क में था। एटीएस का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है, एक या दो दिन में और संदिग्ध पकड़े जाएंगे। दोनों आरोपियों ने अपने आरोप नहीं स्वीकार किए हैं, लेकिन वझे और दूसरे पुलिसकर्मियों पर कुछ खुलासे किए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, वझे ने मनसुख को विस्फोटक रखने की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था। वझे के टेरर केस गढ़ने के पीछे दो थ्योरी सामने आई हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि वझे खुद केस को सॉल्व करके सुपर कॉप बनना चाहते हैं या फिर वह और कुछ दूसरे पुलिसकर्मी (जिसमें एक सीनियर भी शामिल हैं), एक प्राइवेट सिक्यॉरिटी फर्म में शामिल होना चाहते थे जिसे एक कॉर्पोरेट ने लॉन्च किया है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि वझे ने मनसुख की हत्या की साजिश इसलिए रची क्योंकि उन्हें डर था कि मनसुख उनके प्लान के बारे में सब उगल देंगे। मनसुख को मारने का प्लान 2 मार्च को बनाया गया। वझे ने दोनों साथियों के साथ मिलकर क्रॉफर्ड मार्केट स्थित अपने हेडक्वॉर्टर में दो घंटे तक मीटिंग भी की थी।
एटीएस अधिकारी के अनुसार, प्रथमदृष्टया शिंदे ने हिरेन को उपनगर कांदीवली से चार मार्च को फोन किया था और खुद को 'तावड़े साहब' बताया था। इसके एक दिन बाद ही हिरेन का शव बरामद हुआ था। बता दें कि हिरेन चार मार्च को ठाणे स्थित अपने आवास से निकले थे और उन्होंने अपनी पत्नी विमला को बताया था कि उन्हें कांदीवली में 'तावड़े साहब' ने पूछताछ के लिए बुलाया है। जांच के अनुसार, उस दिन रात करीब 11 बजे जब विमला और उनके बेटों ने हिरेन को फोन करने की कोशिश की तो उनका फोन बंद जा रहा था। हिरेन ने दावा किया था कि उनकी एसयूवी चोरी हो गई थी। यह एसयूवी 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के निकट मिली थी। इस वाहन से विस्फोटक सामग्री मिली थी। वझे फिलहाल एनआईए की हिरासत में हैं।
अधिकारी ने बताया, हिरेन हत्याकांड में सचिन वझे मुख्य आरोपी है। उन्होंने इस हत्याकांड में मुख्य भूमिका निभाई है। जांच के दौरान एटीएस को पता चला कि सट्टेबाज नरेश गौर ने एपीआई वझे और शिंदे को अपराध के लिए पांच सिमकार्ड मुहैया कराए थे। शिंदे अवैध गतिविधियों में वझे की मदद किया करते थे। उन्होंने कहा कि एटीएस जांच कर रही है कि क्या मामले में और लोग भी संलिप्त हैं और उनकी क्या भूमिका रही है। अधिकारी के अनुसार एटीएस जांच कर रही है कि मुख्य षड्यंत्रकारी (हिरन हत्याकांड में) कौन है। उन्होंने कहा दोनों आरोपियों को मामले में पूछताछ के लिए शनिवार को एटीएस मुख्यालय बुलाया गया था, बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया।
अधिकारी ने बताया कि राज्य एटीएस ने अभी तक कई लोगों से पूछताछ की है, जिनमें पुलिस अधिकारी और मृतक के परिजन शामिल हैं। इन दो लोगों की गिरफ्तारी इस मामले में महत्वपूर्ण प्रगति है। एटीएस ने हिरेन हत्याकांड के संबंध में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 34 (साझा मंशा) के तहत मामला दर्ज किया है। इस बीच, भाजपा ने कहा कि इस पूरे खेल में वाजे सिर्फ एक मोहरा हो सकता है।
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टेरर केस गढ़कर सुपरकॉप बनना चाहता था वझे, हिरेन को सौंपी थी विस्फोटक रखने की जिम्मेदारी -हिरेन मर्डर केस में एटीएस ने किया खुलासा