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 कोरोना महामारी के बाद बदला खेलों का स्वरुप  

 कोरोना महामारी के बाद बदला खेलों का स्वरुप  

नई दिल्ली ।  कोरोना महामारी के बाद खेलों का स्वरुप ही बदल गया है। पिछले एक साल के अंदर खेल नहीं हो पाये है। अब हुए भी हैं तो खाली स्टेडियमों में उनका आयोजन हो रहा है। खेलों को जैव सुरक्षा घेरे (बायो बबल) में आयोजित किया जा रहा है। दर्शकों के बिना मैचों का आयोजन, अभ्यास के बदल हुए नियमों में खिलाड़ियों को खेलना पड़ रहा है। जैव सुरक्षा घेरा खिलाड़ियों को कई मानसिक परेशानियां भी दे रहा है क्योंकि उन्हें लंबे समय तक अपने घरों से दूर रहना पड़ रहा है। ओलंपिक खेल तक एक साल स्थगित करने पड़े हालांकि अब हालात सामान्य हो रहे हैं। इसी के साथ ही खेल भी पटरी पर लौट रहा है। अब  सीमित मात्रा में दर्शकों को प्रवेश भी मिलने लगा है। फुटबॉल, हॉकी और क्रिकेट सहित सभी मुकाबले अब होने लगे हैं। शतरंज और निशानेबाजी जो पहले ऑनलाइन हो रहा था वह भी अब बोर्ड और निशानेबाजी रैंज में होने लगे हैं। क्रिकेट में भी काफी बदलाव आया है। कई बातों में बदलाव आया है। जैसे गेंद पर लार नहीं लगायी जा सकती थी, टॉस के समय दोनों कप्तान आपस में हाथ नहीं मिला सकते थे, श्रृंखला के दौरान खिलाड़ी होटल से बाहर नहीं जा सकते और सबसे अहम है कि मैच खाली स्टेडियमों में खेले जाने लगे पर सभी ने इन हालातों को स्वीकार किया।
जिन खिलाड़ियों ने ओलंपिक का टिकट हासिल कर दिया था उन्होंने चुपचाप इंतजार किया है लेकिन जिनका टिकट अभी तक पक्का नहीं हो पाया उन्हें अपना मनोबल बनाये रखने के लिये भी संघर्ष करना पड़ा। जैसे कि ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल जिन्होंने अभी तक ओलंपिक में अपनी जगह पक्की नहीं की है। वायरस के कारण साइना कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पायी। इसके बाद वह वायरस से संक्रमित हो गयी और फिर जनवरी में ही वापसी कर पायी। अब जुलाई-अगस्त में होने वाले ओलंपिक में जगह बनाने के लिये उन्हें बाकी बचे तीन-चार टूर्नामेंटों में कम से कम क्वार्टर फाइनल में पहुंचना होगा।
मुक्केबाजी में इस महीने के शुरू में स्पेन में एक मुक्केबाज का परीक्षण पॉजीटिव पाये जाने के बाद पूरे भारतीय दल को उसका परिणाम भुगतना पड़ा। खिलाड़ियों के लिये अभ्यास करना भी आसान नहीं रहा। विशेषकर कुश्ती और मुक्केबाजी जैसे खेलों में जिनमें संक्रमण से बचने के लिये अभ्यास के लिये साथी रखने की अनुमति नहीं दी गयी थी। इसका परिणाम यह रहा कि ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर चुके कई खिलाड़ियों को उन देशों में अभ्यास के लिये जाना पड़ा जहां नियमों में थोड़ा ढिलायी दी गयी थी।
इस बीच निशानेबाजों ने दिल्ली विश्व कप से रेंज पर वापसी की। ओलंपिक में भारत को सबसे अधिक उम्मीद निशानेबाजों से ही है। एक साल तक नहीं खेलने के बावजूद भारतीय निशानेबाजों ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया है। इसके अलावा ट्रैक एवं फील्ड के एथलीटों, टेबल टेनिस खिलाड़ियों, टेनिस खिलाड़ियों ने भी सुरक्षित वातावरण के बीच खेलों में वापसी की है। 
 

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