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बिहार में लागू होगी स्क्रैप पॉलिसी, सड़कों से हटेंगी डेढ़ से दो लाख गाड़ियां -परिवहन विभाग द्वारा जल्द ही इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया जाएगा

बिहार में लागू होगी स्क्रैप पॉलिसी, सड़कों से हटेंगी डेढ़ से दो लाख गाड़ियां -परिवहन विभाग द्वारा जल्द ही इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया जाएगा

पटना। अगले एक-दो महीने में बिहार की सड़कों से लगभग डेढ़ लाख गाड़ियां बाहर हो जायेंगी। 15 से 20 साल पुरानी वैसी गाड़ियां सरकार द्वारा बनाए गए उन नियमों के अनुसार बाहर होंगी जिसके तहत 15 साल पुराने व्यवसायिक वाहनों और 20 साल पुराने निजी वाहनों को सड़कों से बाहर किया जाना है। परिवहन विभाग द्वारा जल्द ही इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया जाएगा। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा स्क्रैप पॉलिसी नीति बनाई गई है और इसी नीति पर बिहार सरकार भी अमल करने की तैयारी कर रही है। व्यवसायिक वाहनों में ट्रक और बस से लेकर टैक्सी, ऑटो ट्रैक्टर जैसे वाहनों की संख्या लगभग 20 हज़ार से अधिक है। इसके पहले के सालों में खरीदी गई गाड़ियां भी स्क्रैप में आ जाएंगी।
  2001 में खरीदी गई निजी गाड़ियां भी इसी पॉलिसी के तहत सड़कों से बाहर की जाएंगी। नई पॉलिसी में यह स्पष्ट किया गया है कि पुरानी गाड़ियों कि प्रदूषण का जांच ऑटोमेटेड फिटनेस सर्टिफिकेट सेंटर पर ही होगा। दरअसल, इन केंद्रों पर इस तरह की गाड़ियों की आते ही 15 साल पुरानी व्यवसाई पुरानी गाड़ियों का निबंधन रद्द हो जाएगा। पुरानी गाड़ियां कम से कम सड़कों पर चले इसके लिए रजिस्ट्रेशन फीस में अधिक से अधिक बढ़ोतरी का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। मकसद यही है कि लोग इस तरह की गाड़ियों को चलाने से परहेज करें। परिवहन विभाग के सूत्रों की माने तो वैसे गाड़ियां जो 15 साल पुरानी हो चुकी हैं उनके निबंधन में 2 से 3 गुना बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव है। अगर कोई वाहन मालिक स्क्रैप के नाम पर अपनी गाड़ियों को बेचना चाहे तो उन्हें निबंधन और टैक्स के मध्य में रियायत देने का भी प्रावधान है। दरअसल, स्क्रेपिंग पॉलिसी से प्रदूषण पर नियंत्रण करने की योजना है। अगर वाहन मालिक ऐसा करते हैं तो उन्हें आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा और साथ ही उनके जीवन की सुरक्षा भी संभव हो सकेगी। अनुमान के मुताबिक, पुरानी कार चलाने पर एक शख्स को हर साल करीब 40 हज़ार तक का नुकसान होता है। जबकि एक ट्रक मालिक को दो से 3 लाख की हानि सलाना सहन करनी पड़ती है। यही,  नहीं 15 से 20 साल पुरानी गाड़ियों में सीट बेल्ट और एयरबैग जैसी सुविधा नहीं होने से ऐसे वाहनों में सफर करना जोखिम भरा माना जाता है।
 

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