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 ब्लैकमेलिंग के लिए दाखिल की गई याचिका एनजीओ पर लगाया जुर्माना

 ब्लैकमेलिंग के लिए दाखिल की गई याचिका एनजीओ पर लगाया जुर्माना

नई दिल्ली । गैर सरकारी संगठन बनाने के महज कुछ ही दिन बाद दक्षिणी दिल्ली इलाके के दर्जनों संपत्तियों में अवैध निर्माण होने के आरोप में तोड़फोड़ की कार्रवाई की मांग किए जाने पर उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा है कि 'ऐसा लगता है कि यह जनहित में नहीं, बल्कि ब्लैकमेलिंग के लिए याचिका दाखिल की गई है। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने हाल ही में अवैध निर्माण और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा है कि तथ्यों से साफ है कि यह जनहित याचिका नहीं है, बल्कि ब्लैकमेलिंग के लिए दाखिल की गई है। पीठ ने यह भी कहा है कि ऐसा लगता है कि गठन के तुरंत बाद याचिकाकर्ता ने ब्लैकमेलिंग टाइप का मुकदमा दाखिल कर दिया। न्यायालय ने कहा है कि 19 नवंबर, 2020 को गैर सरकारी संगठन 'प्रेरणा एक दिशा फाउंडेशन' का गठन हुआ और 10 दिसंबर, 2020 से वह लगातार नगर निगम को अवैध निर्माण के खिलाफ प्रतिवेदन देना और कार्रवाई की मांग करना शुरू कर दिया। न्यायालय ने कहा है कि जब याचिकाकर्ता संगठन के वकील से पूछा गया कि क्या संबंधित संपत्ति के बिल्डिंग प्लान लेने का प्रयास किया गया तो इसका जवाब नहीं में मिला। इसमें कहा गया है कि इसके जवाब में कहा गया कि आसपास के लोगों से संपत्तियों के अवैध निर्माण के बारे में पता चला। उच्च न्यायालय ने कहा है कि याचिकाकर्ता संगठन ने पड़ोसियों और राहगीरों से पूछकर पता लगाया कि संबंधित मकान में अवैध निर्माण हो रहा है। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि तस्वीरों से यह साबित नहीं होता है कि मकान का निर्माण वैध है या अवैध। न्यायालय ने कहा है कि मकान वैध है या अवैध, यह ट्रायल कोर्ट में साक्ष्यों से तय होता है। न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन द्वारा दक्षिणी दिल्ली की 49 संपत्तियों में अवैध निर्माण होने का साक्ष्य के तौर पर पेश तस्वीरों को देखते हुए टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने कहा है कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने किसी भी संपत्ति मालिकों को प्रतिवादी नहीं बनाया और अवैध निर्माण गिराने की मांग की कर दी।
 

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