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गुड़गांव रैपिड मेट्रो के संचालकों के कर्ज का 80 प्रतिशत  एस्क्रो में जमा करने का निर्देश

गुड़गांव रैपिड मेट्रो के संचालकों के कर्ज का 80 प्रतिशत  एस्क्रो में जमा करने का निर्देश

गुड़गांव । सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) से कहा कि वह गुड़गांव रैपिड मेट्रो  का संचालन करने वाली दो आईएल एंड एफएस कंपनियों पर बकाया कर्ज की राशि 2,407 करोड़ रुपये का 80 प्रतिशत हिस्सा एक एस्क्रो खाता में जमा कराए। एस्क्रो तीसरी पार्टी या स्वतंत्र पक्ष का खाता होता है जो दो पक्षों के बीच धन के लेन-देन का कानूनी काम करता है। जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने एचएसवीपी को निर्देश दिया कि वह कैग द्वारा तय बकाया कर्ज की राशि का 80 प्रतिशत हिस्सा तीन महीने के भीतर एक एस्क्रो खाता में जमा कराए। यह कर्ज दो आईएल एंड एफएस कंपनियों द्वारा दो मेट्रो लाइनों के विकास और उनके संचालन के लिये बैंकों सहित अन्य लेनदारों से ली गई राशि है। रैपिड मेट्रो रेल गुड़गांव लिमिटेड और रैपिड मेट्रो रेल गुड़गांव साउथ लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर दावा किया है कि एचएसवीपी कर्ज की बकाया राशि का 80 प्रतिशत हिस्सा एस्क्रो खाते में जमा कराने के पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले का पालन नहीं कर रहा है। रैपिड मेट्रो रेल गुड़गांव लिमिटेड और रैपिड मेट्रो रेल गुड़गांव साउथ लिमिटेड यहां एमजी रोड पर सिकंदरपुर स्टेशन से एनएच-8 और सेक्टर-56 गुड़गांव तक दो मेट्रो लाइनों का विकास करने और उनका संचालन करने के लिए आईएल एंड एफएस द्वारा बनाई गई थी। दोनों कंपनियों ने जून 2019 में एचएसवीपी को नोटिस भेजा था कि उसके द्वारा समझौते का कथित रूप से पालन नहीं किए जाने के कारण आपसी समझौता सितंबर, 2019 में समाप्त हो जाएगा। उन्होंने समझौते के आधार पर कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने पर कुछ भुगतान की भी मांग की थी। दोनों कंपनियों से अनुबंध खत्म करने का नोटिस मिलने पर एचएसवीपी हाईकोर्ट चला गया और सितंबर, 2019 में अदालत ने दोनों कंपनियों को निर्देश दिया कि वह दोनों लाइनों के संचालन की जिम्मेदारी एचएसवीपी को सौंप दे। अदालत ने ही कैग से कहा था कि वह कुल बकाया कर्ज का आकलन करे और एचएसवीपी को निर्देश दिया था कि वह कुल राशि का 80 प्रतिशत एक एस्क्रो खाते में जमा कराए। साथ ही अदालत ने दोनों पक्षों को अपनी समस्या मध्यस्थता के जरिए सुलझाने को भी कहा था। 
 

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