बच्चों हम सब आइसप्रीम तो खाते है पर कभी ये जानने की कोशिश की आइस्प्रीम आयी कैसे? इसे पहले कैसे बनाया जाता था ? भारत में मुगल शासनकाल के दौरान आइसप्रीम आई। संभवत: ऐसा माना जाता है कि अरब जगत के लोगों ने सबसे पहले आइसप्रीम के उत्पादन में बड़े पैमाने पर दूध का इस्तेमाल शुरू किया। वे फलों की बजाय चीनी मिलाकर इसको मीठा करते थे। फालूदा आइसप्रीम की शुरुआत ईरान और अफगानिस्तान से मानी जाती है। करीब 200 ईसा पूर्व के आस-पास चीन में चावल और दूध के मिश्रण को जमाकर खाने की परंपरा मिलती है। रोम का शासक नीरो (37-68 ई.) पहाडों पर जमी बर्फ को मंगाता था और उनमें फलों के ऊपरी हिस्से को मिलाकर खाता था।
18वीं सदी में ब्रिटेन और अमेरिका की रेसिपी में आइसप्रीम बनाने की आधुनिक विधि मिलती है। ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार 1744 में पहली बार आइसप्रीम शब्द का उल्लेख मिलता है।दुनिया के पहले आइसप्रीम पार्लर की शुरुआत 1776 में अमेरिका में हुई थी।20वीं सदी में ब्रिटेन में आइसप्रीम बनाने के आसान तरीके विकसित होने से इसकी खपत में बढोतरी हुई। उसी दौर में रेफ्रिजरेटर के अस्तित्व में आने के बाद इसको घरों में संरक्षित रखा जाना शुरू हुआ। साइकिल में लेकर इसे बेचने की शुरुआत लंदन में 1923 में हुई थी। जिसमें बेचने वाले डिब्बे पर लिखा होता था- स्टॉप मी ऐंड बाई वन। अमेरिका आइसप्रीम का दुनिया में सबसे बडा उपभोक्ता है। दूसरे स्थान पर ऑस्ट्रेलिया का नाम आता है।
कारोबार
= 1, एसोचौम की रिपोर्ट के अनुसार हाल के कुछ वर्षो में आइसप्रीम बाजार में 15 प्रतिशत की वृद्धि दर हुई है।
= 2, 60 प्रतिशत बिजनेस संगठित क्षेत्रों द्वारा ही होता है। इंडियन आइसप्रीम मेन्युफैक्चरर एसोसिएशन (आइआइसीएमए) के अनुसार, सबसे ज्यादा मांग आइसप्रीम के 500 मिली और एक लीटर के पैकट की है। विभिन्न चॉकलेट आइसप्रीम के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय फ्लेवर की मांग भी उपभोक्ताओं के बीच बढती जा रही है।
3, आइसप्रीम की 35 प्रतिशत खपत पश्चिमी क्षेत्रों गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और गोवा में होती है।4, केवल दिल्ली और गुजरात में ही कुल आइसप्रीम की 30 प्रतिशत खपत होती है।
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कैसे बनी आइसप्रीम