भारतीय टीम 30 मई को इंग्लैंड में शुरू होने जा रहा आगामी विश्व कप में तीसरी बार खिताब पर कब्जा करने के इरादे से उतरेगी। विराट कोहली की कप्तानी में उतर रही भारतीय टीम इस बार काफी संतुलित है और उसके पास बेहतरीन बल्लेबाज और गेंदबाज हैं। हाल के दिनों में भारतीय टीम के प्रदर्शन को देखते हुए उसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। भारतीय टीम ने अभी तक 1983 में कपिल देव और 2011 में महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में विश्व कप जीता था। विश्व कप की शुरुआत 1975 से हुई और यह क्रिकेट महाकुंभ हर 4 साल बाद आयोजित होता है। अब तक खेले गए 11विश्व कप पर नजर डालें तो भारतीय टीम का नेतृत्व छह कप्तानों ने किया है। एस. वेंकटराघवन ने सबसे पहले विश्व कप में भारतीय टीम की कमान संभाली थी। वहीं विराट विश्व कप में कप्तानी करने वाले सातवें भारतीय कप्तान होंगे।
एस. वेंकटराघवन (1975-1079)
वेंकटराघवन ने दो बार 1975 और 1979 विश्व कप में भारतीय टीम का नेतृत्व किया। उन दिनों एकदिवसीय क्रिकेट में भारतीय टीम काफी पीछे थी और टीम इंडिया तब विश्वकप में खेले 6 मैचों में से सिर्फ एक ही मैच जीत पाई थी। इन 6 मैचों में वेंकटराघवन एक भी विकेट नहीं ले पाये।
कपिल देव (1983 और 1987)
महान ऑलराउंडर कपिल देव ने भारतीय क्रिकेट इतिहास में अपनी खास पहचान बनाई है। कपिल की कप्तानी में ही भारतीय टीम ने विश्व कप जीता जबकि उस समय किसी को भी उम्मीद नहीं थी। भारतीय टीम तब विश्व कप में लीग स्टेज में ही जिम्बाब्वे के खिलाफ हारते हारते बची थी पर कपिल ने नाबाद 175 रनों की रिकार्ड पारी खेलकर टीम को न सिर्फ जीत दिलाई बल्कि उसमें एक नया विश्वास भी भरा।
मोहम्मद अजहरूद्दीन (1992, 1996 और 1999)
विश्व कप में सबसे ज्यादा तीन बार भारतीय टीम की कप्तानी करने का श्रेय मोहम्मद अजहरूद्दीन के नाम है। उन्होंने लगातार तीन (1992, 1996 और 1999) विश्व कप में भारतीय टीम की कमान संभाली है। 1992 में अजहर की कप्तानी में उतरी टीम इंडिया का प्रदर्शन खास नहीं था। यहां 8 मैच खेलकर टीम इंडिया ने सिर्फ 2 में ही जीत दर्ज की पर 4 साल बाद सचिन तेंडुलकर की शानदार बल्लेबाजी से टीम इंडिया विश्व कप के सेमीफाइनल तक पहुंची। इस टूर्नामेंट में सचिन ने कई बार सिर्फ अपने दमदार खेल के दम पर ही टीम को जीत दिलाई। इसके बाद 1999 में टीम इंडिया ने एक बार फिर निराश किया और इस बार टीम सुपर सिक्स राउंड में ही बाहर हो गई। टीम का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा और इस विश्वकप के बाद अजहर के हाथ से कप्तानी भी निकल गयी।
सौरभ गांगुली (2003)
टीम इंडिया आक्रामक छवि वाले कप्तान सौरभ गांगुली के नेतृत्व में एक नई टीम के साथ उतरी। भारतीय टीम इस विश्व कप में 20 साल बाद जीत के करीब पहुंच गयी थी पर उसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। इस विश्व की शुरुआत में भारतीय टीम का प्रदर्शन खराब था पर बीच में उसने लय हासिल कर ली और टीम जीत की राह पर आ गई। सौरभ गांगुली ने न सिर्फ अपनी कप्तानी से इस विश्व कप में छाप छोड़ी बल्कि बल्लेबाजी से भी सबका ध्यान खींचा। गांगुली तीन शतक से साथ इस टूर्नमेंट में सचिन तेंडुलकर के बाद दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने।
राहुल द्रविड़ (2007)
राहुल द्रविड़ की कप्तानी में 2007 विश्व कप में जीत की उम्मीद थी पर यह टीम ग्रुप स्तर में ही बाहर हो गई। द्रविड़ की इस टीम में सचिन तेंडुलकर, युवराज सिंह, सौरभ गांगुली, वीरेंदर सहवाग जैसे नामी खिलाड़ी जरूर थे लेकिन ये सभी एक ईकाई के तौर पर बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाये। यह विश्व कप मिशन कोच ग्रेग चैपल से विवादों के कारण भी अच्छा नहीं रहा।
महेन्द्र सिंह धोनी (2011 और 2015)
मिस्टर कूल महेन्द्र सिंह धोनी कप्तानी में 2011 में भारतीय टीम ने कमाल कर दिया। भारतीय टीम ने खिताबी मुकाबले में श्रीलंका को हराकर 28 साल बाद एक बार फिर विश्व कप पर कब्जा किया। कप्तान एमएस धोनी ने फाइनल में नाबाद 91 रन की पारी खेली और टीम इंडिया को छक्का लगाकर कप दिलाया। इसके बाद 2015 में भी धोनी की ही कप्तानी में टीम इंडिया उतरी पर उसे सेमीफाइनल में ही हार के साथ बाहर होना पड़ा।
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विश्वकप में तीसरे खिताब पर रहेंगी विराट की नजरें