नई दिल्ली । दिल्ली में गर्मी ने अभी ठीक से दस्तक भी नहीं दी, लेकिन बिजली बिल की दोहरी मार उपभोक्ताओं पर पड़ने लगी है। बिजली बिल में जहां उपभोक्ताओं का बिजली खर्च बढ़ने से बिल में सब्सिडी कम मिल रही है तो वहीं मीटर लोड बढ़ाने को लेकर भी उपभोक्ताओं की परेशानी दिखने लगी है। जिन उपभोक्ताओं की बिजली खपत पिछले दिनों कम हुई उनके भी मीटर का लोड बढ़ाने के मैसेज भेजने निजी बिजली कंपनियों ने शुरू कर दिए हैं। वहीं जिनके लोड चार्ज पहले से बढ़े हुए हैं उनके बिजली बिल में कमी होने के बावजूद लोड चार्ज कम करने की कोई पहल नहीं की जा रही है।
दिल्ली में बिजली बिल पर भले ही सब्सिडी को लेकर उपभोक्ताओं को राहत है तो दूसरी तरफ बिजली वितरण कंपनियां कई तरह के शुल्क लेकर बिजली बिल भेजती हैं। इन दिनों बिजली मीटर चार्ज बढ़ाने की कवायद चल रही है। दरअसल लोड चार्ज बढ़ते ही इसका चार्ज बिजली बिल में जुड़ जाता है। अगर किसी का पांच किलोवॉट का मीटर लोड चार्ज है तो उससे पांच सौ रुपये हर महीना देना ही है। भले ही उपभोक्ता ने एक यूनिट बिजली बिल की खपत नहीं की है। गर्मी बढ़ते ही मीटर लोड चार्ज बढ़ाने का काम बिजली कंपनियां शुरू कर देती हैं।
सरिता विहार के जैतपुर एक्सटेंशन के बिजली उपभोक्ता जगसरन ने बताया कि उनके मोबाइल पर इन दिनों लगातार बीएसईएस की तरफ से लोड चार्ज बढ़ाने का मैसेज भेजा जा रहा है। उनका आरोप है कि जब बिजली की खर्च ही नहीं है तो आखिर किस बात का लोड चार्ज बढ़ाना है। इस तरह का दबाव बनाना बिलकुल ही ठीक नहीं है।
दूसरी तरफ उत्तरी दिल्ली में रहने वाले एक टाटा पावर बिजली कंपनी के उपभोक्ता का कहना है कि पिछले कई साल से पूरे घर में सिर्फ एक एसी का इस्तेमाल होता है। बावजूद बिजली कंपनी 9 किलोवॉट लोड चार्ज को कम करने को राजी नहीं है। सबसे अधिक परेशानी तो उन उपभोक्ताओं को जो किसी किराए के मकान में रहते हैं। बिजली कंपनियां तब तक लोड चार्ज कम नहीं करतीं जब तक मकान मालिक की सहमति नहीं होती। ऐसे में किराएदार की मजबूरी है कि प्रति महीना बिजली की खपत कम करने के बावजूद 900 रुपये बिजली बिल भरे। टाटा पावर के उपभोक्ताओं का यह भी कहना है कि लोड चार्ज घटाने में महज कुछ रुपये बतौर सिक्योरिटी मनी लौटाए जाते हैं, जबकि अगर लोड चार्ज आप बढ़ाने जाए तो अधिक रकम वसूली जाती है।
रीजनल नार्थ
गर्मी आते ही शुरू हुआ बिजली कंपनियों का खेल