चंडीगढ़ । पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य के किसानों पर प्रवासी मजदूरों से अपने खेत में बंधुआ मजदूरों की तरह काम करवाने के केंद्रीय गृह मंत्रालय के आरोप को पंजाब के किसानों को बदनाम करने की एक और साजिश करार दिया है। अमरिंदर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार और सत्ताधारी भाजपा ने किसानों को आतंकवादी, अर्बन नक्सली, गुंडे कहकर उनकी छवि को चोट पहुंचाने की पहले भी लगातार कोशिश की, ताकि कृषि कानूनों के मसले पर चल रहे आंदोलन को पटरी से उतारा जा सके।
ज्ञात रहे कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब की मुख्य सचिव और डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) को पत्र भेजकर आरोप लगाया था कि उत्तरप्रदेश और बिहार से पंजाब आने वाले मजदूरों को सीमांत जिलों के किसान नशा देकर व बंधक बनाकर अपने खेतों में काम करवाते हैं।
गृह मंत्रालय के पत्र में दावा किया गया कि बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) ने साल 2019 और 2020 में पंजाब के सीमावर्ती जिलों में 58 भारतीय पकड़े थे और इन व्यक्तियों ने खुलासा किया था कि वह पंजाब के किसानों के पास बंधुआ मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे। पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आगे लिखा था कि 'गैर कानूनी मानव तस्करी सिंडिकेट इन भोले -भाले मजदूरों का शोषण करते हैं और पंजाब के किसान इनसे अपने खेतों में घंटों काम करवाने के लिए इन्हें नशा देते हैं।'
पत्र को ‘अनावश्यक और तथ्यों से परे’ करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पत्र के तथ्यों के अनुसार बीएसएफ ने न ही यह आंकड़े और न ही यह रिपोर्ट जमा करवाई गई। उन्होंने कहा, 'गृह मंत्रालय का पत्र अबोहर की बात करता है जबकि वास्तविकता यह है कि अबोहर या फाजिल्का जिलों में कोई भी केस सामने नहीं आया।' उन्होंने कहा कि केंद्र का कोई भी निष्कर्ष तथ्यों से नहीं लिया गया। उन्होंने आगे कहा कि यह बीएसएफ का काम नहीं कि वह ऐसे मामलों की जांच करे, उनकी जिम्मेदारी सिर्फ सरहद पर संदिग्ध हालात में घूम रहे व्यक्ति को पकड़ कर स्थानीय पुलिस के हवाले करना है।
कैप्टन ने कहा कि केंद्र द्वारा आरोप लगाए गए सभी 58 मामलों की गहराई से जांच की गई है और ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया। उन्होंने बताया कि 58 बंदियों में से चार पंजाब के अलग-अलग इलाकों से संबंधित हैं और उन्हें बीएसएफ ने भारत-पाक सरहद के नजदीक घूमते देखा था। इनमें तीन मानसिक तौर पर बीमार मिले थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीएसएफ द्वारा पकड़े गए तीन व्यक्तियों की पहचान उनकी मानसिक स्थिति के कारण नहीं की जा सकी। उन्होंने कहा कि ऐसी मानसिक दशा वाले व्यक्तियों को कृषि के कामों के लिए बंधुआ मजदूर के तौर पर नहीं रखा जा सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी पता लगा है कि 14 व्यक्ति अपनी गिरफ़्तारी से कुछ दिन या हफ्ते पहले ही पंजाब आए थे। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि उनके द्वारा लंबे समय से खेतों में बंधुआ मजदूरों के तौर पर काम करने वाली बात पूरी तरह निराधार है।
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बंधुआ मजदूरी पर गृह मंत्रालय का पत्र पंजाब के किसानों को बदनाम करने की साजिश - अमरिंदर सिंह