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मीजोफोनिया डिसऑर्डर: जब आवाजों से दूर एकांत तलाशते हैं लोग  (विशेष ध्वनियों के खिलाफ प्रतिक्रिया) 

मीजोफोनिया डिसऑर्डर: जब आवाजों से दूर एकांत तलाशते हैं लोग  (विशेष ध्वनियों के खिलाफ प्रतिक्रिया) 

एक ऐसा विकार हैं जिसमे लोगों को विशेष प्रकार की ध्वनियाँ से काफी परेशानी होती हैं। उन आवाज़ों के खिलाफ कई बार नकारातमकऔर कठोर प्रतिक्रियाएं भी आ सकती हैं। ये आवाज़े कोई भी हो सकती हैं जैसे कुछ भी चबाना ,कलम को खटखटाना ,पैरों को घसीटना आदि। की बोर्ड की आवाज़ हो या कार के शीशे के वाइपर ,ऐसे लोगों को कुछ्ह विशेष आवाज़ों के खिलाफ चिढ़न पैदा करने अली नुभूति हो सकती हैं। इसे सेलेक्टिव साउंड सेंस्टिविटी सिंड्रोम के नाम से जाना जाता हैं। 
कुछ लोग तेज आवाज और शोर-शराबा से दूर रहना पसंद करते हैं क्‍योंक‍ि वो उस तेज आवाज को बर्दाश्‍त नहीं कर पाते हैं। इसल‍िए कई लोगों को दिन की तुलना में रात पसंद करते हैं क्‍योंक‍ि रात बहुत ही शांत होती है। दिन में होने वाले तमाम तरह के शोर-शराबों से दूर रात में ये आवाजें कम हो जाती हैं। कई लोग ऐसे होते हैं जो तेज आवाज से दूर दुनिया से कटना शुरू कर दे या उसके स्वभाव में बदलाव आने लग जाते हैं। दरअसल ये एक तरह की गंभीर स्थिति है। यह मीजोफोनिया डिसऑर्डर का इशारा भी हो सकता है।
क्या है मीजोफोनिया--- मीजोफोनिया एक साउंड डिसऑर्डर बीमारी है। इसमें मरीज को किसी खास तरह की आवाज से परेशानी होती है। आम जीवन में सभी को इन आवाजों से दो-चार होना पड़ता है, लेकिन जिन लोगों में मीजोफोनिया की समस्या होती है, उन्हें यह चुभने लगती है। किसी को खाने के समय निकलने वाली आवाज से समस्या होती है तो किसी को पीने के अंदाज से तकलीफ होती है। कुछ खास आवाजों के प्रति ऐसे मरीज काफी संवेदनशील हो जाते हैं, परिणामस्वरूप काफी आक्रामक व्यवहार करने पर उतर आते हैं। सामान्य इंसान के लिए ये आवाजें सामान्य बात होती हैं, लेकिन यही आवाजें इस बीमारी के मरीजों को तकलीफ पहुंचाती हैं। कई बार आवाज उन्हें इतना आक्रामक बना देती है कि वह अपना आपा खो बैठते हैं और हिंसक होकर सामने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचा देते हैं।
कारण --- विशेष ध्वनियों के प्रति व्यक्ति होने वाली यह प्रतिक्रिया क्यों होती हैं इसका कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो सका। 
यह तीन प्रकार का होता हैं ---१ ओबेस्सिव कम्पलसिव डिसऑर्डर २ चिंता सम्बन्धी विकार ३ टोरेट सिंड्रोम यानी बार बार हिलने या अनचाही आवाजें निकलाने वाली तंत्रिका तंत्र की बीमारी इसके अलावा जिन लोगों को टिनिटस नाम का विकार होता हैं उनमे भी यह समस्या काफी आम हैं। 
क्या होती है प्रतिक्रिया ट्रिगर अर्थात् जिस आवाज से समस्या होती है, उसके संपर्क में आते ही व्यक्ति काफी अलग तरह का व्यवहार करने लगता है। उसकी सांसें तेज हो जाती हैं, चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। वह अपने हाथ-पैर सिकोड़ने लगता है और कई बार शरीर में कंपन शुरू हो जाता है। अपने कानों को उंगलियों या हाथों से बंद कर देता है और इन आवाजों से दूर भागने की कोशिश करने लगता है। ऐसी स्थिति होने पर या तो व्यक्ति उस आवाज से काफी दूर अकेले में चला जाता है और घंटों एकांत में बैठा रहता है या फिर उन आवाजों से परेशान व आक्रामक होकर आवाज करने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने लगता है। आवाज खत्म होने के कुछ समय बाद व्यक्ति सामान्य हो जाता है और अगर उसने कुछ हिंसक कार्य किया है तो उसके लिए उसे पछतावा भी होता है। कई बार समस्या बढ़ने पर व्यक्ति कुंठित होकर मनोवैज्ञानिक समस्याओं का भी शिकार हो जाता है।
बरतें ये सावधानियां - अगर आपके परिवार में ऐसा कोई व्यक्ति है, जिसे किसी खास तरह की आवाज से चिढ़ हो तो आप उसे उस आवाज के संपर्क में आने से रोकें। - कोशिश करें कि उसके नजदीक उस तरह की आवाज न हो लेकिन अगर आवाज रोकना या मरीज को आवाज के संपर्क में आने से रोकना मुश्किल हो तो उस समय मरीज के दिमाग को दूसरी जगह व्यस्त कर दें, ताकि उसके कानों तक वह आवाज नहीं पहुंचे। - अगर मरीज कुंठित हो जाए या मनोवैज्ञानिक समस्या का शिकार हो जाए तो परिवार वाले उसकी परेशानी को समझते हुए उसकी मदद करें और किसी ईएनटी विशेषज्ञ से मिलने के साथ-साथ मनोचिकित्सक से मिलें।इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए अब तक कोई भी विशेष दवाई उपलब्ध नहीं हैं। 
आयुर्वेद में कुछ दवाये लाभकारी हो सकती हैं ---
दिमाग पौष्टिक रसायन ,दिमाग दोषहरी वटी,सारस्वारिष्ट ,अश्वगंधारिष्ट ,ब्राम्ही वटी ब्रैण्टो ,मेन्टेट आदि पंचकर्म में शिरोधारा भी लाभप्रद हैं
 

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