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 हेमंत सोरेन के खिलाफ दुष्कर्म और आपराधिक धमकी के आरोपों की जांच नहीं कर सकते - मुंबई पुलिस

 हेमंत सोरेन के खिलाफ दुष्कर्म और आपराधिक धमकी के आरोपों की जांच नहीं कर सकते - मुंबई पुलिस

मुंबई । मुंबई पुलिस ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में  झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ दुष्कर्म और आपराधिक धमकी के आरोपों की जांच में असमर्थता जताई है। पुलिस ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा कि पीड़िता उच्च न्यायालय से वह याचिका वापस लेना चाहती है जिसमें प्राथमिकी दर्ज कराने की गुहार लगाई गई थी। 
लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की पीठ से कहा कि महिला ने वर्ष 2013 में सोरेन के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराने के लिए मजिस्ट्रेटी अदालत में अर्जी दी थी। ठाकरे ने अदालत को बताया, 'महिला ने अपनी शिकायत उसी साल वापस ले ली थी। पिछले साल अगस्त में महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा कि उसके साथ हादसा हो गया था और आशंका जताई कि इसके पीछे भी सोरेन का हाथ था। महिला ने बाद में वह याचिका भी वापस ले ली।'
लोक अभियोजक ने झारखंड के पूर्व पत्रकार सुनील कुमार तिवारी और गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 'स्त्री रोशनी ट्रस्ट' की ओर से दाखिल दो याचिकाओं का भी विरोध किया। इन याचिकाओं में उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप करने और महिला को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया गया है। ठाकरे ने कहा, 'हस्तक्षेप करने वालों (तिवारी एवं एनजीओ) का मामले से कोई संबंध नहीं है जबकि शिकायतकर्ता स्वयं अपनी याचिका वापस लेना चाहती हैं।' उन्होंने कहा, 'हस्तक्षेप आवेदन निश्चित रूप से किसी राजनीतिक हित की वजह से दिया गया है। पुलिस किस बात की जांच करे जब शिकायत ही वापस हो गई है।' 
वहीं, महिला की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अबाद पोंडा ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल को याचिका जारी रखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता अगर वह ऐसा नहीं चाहती। पोंडा ने कहा, 'महिला का मामले में हस्तक्षेप करने वालों से कोई संबंध नहीं है। ऐसा लगता है कि उनके पीछे भाजपा जैसी कुछ राजनीतिक पार्टियां हैं। उनका (हस्तक्षेप करने वाले) उस व्यक्ति (सोरेन) से स्वार्थ है जिसके खिलाफ महिला ने पहले याचिका दायर की थी।' उन्होंने कहा कि महिला याचिका को वापस लेना चाहती है।
पीठ ने पोंडा से पूछा कि क्या महिला न्यायाधीशों से उनके चेंबर में मिलना चाहती है। पोंडा ने इसे स्वीकार किया जिसके बाद महिला सोमवार दोपहर न्यायाधीशों से चेंबर में मिली। अदालत इस मामले की सुनवाई अब बुधवार को करेगी। ‘स्त्री रोशनी ट्रस्ट’ की ओर से पेश अधिवक्ता सतीश माणेशिंदे ने कहा कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर हैं और आरोपी मुख्यमंत्री है।
 

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