गर्भावस्था के शुरुआती कुछ सप्ताह में धूम्रपान, शराब पीने, चूल्हे से निकलने वाले धुएं के बीच सांस लेने या परोक्ष धूम्रपान, ज्यादा दवाएं लेने एवं विकिरण की चपेट में आने और पोषण संबंधी कमियां होने से नवजात के चेहरे में जन्मजात विकृतियां हो सकती हैं। यह खुलासा हुआ है अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के नए अध्ययन में। अध्ययन के मुताबिक, इनके कारण होंठ कटे हो सकते हैं या तालू में कोई विकृति हो सकती है। कटे हुए होंठों से बच्चे को बोलने और खाना चबाने में दिक्कत आती है। इससे दांत भी बेतरतीब हो जाते हैं, जबड़े से उनका तालमेल बिठाने में दिक्कत पेश आती है और चेहरे की आकृति बिगड़ी नजर आती है। एक अनुमान के मुताबिक, एशिया में प्रति 1,000 या इससे ज्यादा नवजात में से करीब 1,7 फीसदी के होंठ कटे होते हैं या तालू में विकृति होती है। भारत में इससे जुड़े आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन देश के अलग-अलग हिस्से में हुए कई अध्ययन बताते हैं कि होंठ कटे होने के कई मामले सामने आते रहे हैं। अनुमान हैं कि भारत में हर साल करीब 35,000 ऐसे नए मामले सामने आते हैं। पायलट चरण में दिल्ली के एम्स, सफदरजंग अस्पताल और गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी में यह अध्ययन हुआ। इस परियोजना के प्रमुख शोधकर्ता एवं सीडीईआर के प्रमुख ओपी खरबंदा ने कहा, ''मकसद यह था कि मरीजों के दस्तावेज इकट्ठा करने की प्रक्रिया में एकरूपता हो। उन्होंने कहा, ''इससे खुलासा हुआ कि इस विकृति से जूझ रहे मरीजों को इलाज की तत्काल जरूरत होती है और इसके लिए गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान की व्यवस्था में सुधार की रणनीति बनाने की जरूरत है। एम्स के दंत चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान (सीडीईआर) ने 2010 में इस अध्ययन की शुरुआत की जिसे तीन चरणों - प्री पायलट, पायलट और मल्टी सेंट्रिक में पूरा किया जा रहा है। अभी नई दिल्ली, हैदराबाद, लखनऊ और गुवाहाटी में मल्टी सेंट्रिक चरण चल रहा है।