शोधकर्ताओं का कहना है कि लंबी उम्र तक जीना है तो आलसी बने रहिए, क्योंकि ईवॉल्यूशन यानी विकास का क्रम भी आप ही जैसे लोगों का फेवर कर रहा है। एक नए शोध में बताया गया है कि अब ईवॉल्यूशन 'सर्वाइवल ऑफ द लेजीएस्ट' का फेवर कर रहा है। शोधकर्ताओं ने करीब 299 प्रजातियों की आदतों के बारे में अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। उनका मानना है कि मेटाबॉलिज़म की रेट अधिक होने से उस प्रजाति के जीव के विलुप्त होने का खतरा रहता है। प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर ल्यूक स्ट्रॉज ने बताया, हमें भी यह जानकार आश्चर्य हुआ कि किसी प्रजाति के अधिक एनर्जी का इस्तेमाल करने से उस पर विलुप्त होने का खतरा कैसे हो सकता है। मगर सच्चाई यही है। हमने मोलस्क प्रजाति के जीवों के बारे में अपना अध्ययन किया। मोलस्क प्रजाति में घोंघा और सीप आते हैं जो समुद्र के किनारे चुपचाप पड़े रहते हैं। शोध में यह पाया गया कि मोलस्क प्रजाति के वे जीव जो अधिक सक्रिय थे वे 50 लाख साल पहले ही विलुप्त हो गए और जो प्रजाति अभी पाई जा रही है वह आलसियों की तरह चुपचाप पड़ी रहती है। इनकी मेटाबॉलिज़म की रेट काफी कम होती है। इससे शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि जिन प्रजातियों की मेटाबॉलिक रेट अधिक होती है वो आलसी जीवों की तुलना में कम जी पाते हैं। शोध से जुड़े प्रफेसर ब्रूस लीवरमैन का कहना है कि इस शोध के परिणामों से इस बात को बल मिलता है कि ईवॉल्यूशन के नए सिद्धांत में सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट नहीं बल्कि सर्वाइवल ऑफ द लेजीऐस्ट अधिक प्रभावी होगा।