आगामी विश्व कप को देखते हुए कई टीमों ने अपनी स्पिन रणनीति में बदलाव किया है। इसका अंदाजा इसी से होता है कि कलाइयों के स्पिनरों की संख्या सभी टीमों में बढ़ रही है। इर टीम इस नये अस्त्र के जरिये बीच के ओवरों में विकेट निकालने के साथ ही बल्लेबाजों पर अंकुश लगाये रखना चाहती हैं। 2015 विश्व कप के बाद से ही हर टीम कलाई के स्पिनरों को निखारने में लग गयी। इसी क्रम में इंग्लैंड अपनी टीम में आदिर रशीद को ले आए, रशीद टीम के लिए विकेट लेने वाले अहम गेंदबाज बनकर उभरे हैं। पिछले विश्व कप के बाद से आंकड़े देखें, तो एकदिवसीय फॉर्मेट में रशीद सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। 2015 विश्व कप के बाद अगर 5 सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की बात करें, तो इसमें रशीद के बाद 2 और ऐसे गेंदबाज हैं, जो कलाइयों के ही स्पिनर हैं। इनमें अफगानिस्तान के युवा खिलाड़ी राशिद खान का नाम दूसरे स्थान पर आता है और दक्षिण अफ्रीका के इमरान ताहिर पांचवें स्थान पर हैं। भारत की बात करें तो स्पिनर कुलदीप यादव भी यहां छठे पायदान पर पहुंच चुके हैं। इन चारों स्पिनरों में आदिल रशीद (127 विकेट), राशिद खान (123 विकेट), दक्षिण अफ्रीका के इमरान ताहिर (92) और कुलदीप यादव (97) शामिल हैं।
कलाइयों के स्पिनरों के हावी होने का कारण कप्तानों का पहले से और अधिक आक्रामक होना। अब कोई भी कप्तान रक्षात्मक रुख के साथ खेलना पसंद नहीं करता। वे जानते हैं कि बल्लेबाजों को स्लॉग ओवरों तक बांधे रखा, तो अंतिम ओवरों में उनके लिए मुश्किलें बहुत बढ़ जाएंगी। ऐसे में वह मध्यम ओवरों में भी आक्रमण का सिलसिला जारी रखने में ज्यादा विश्वास रखते हैं। ऑस्ट्रेलिया के स्पिन दिग्गज शेन वॉर्न ने हाल ही में खेल में आए इस बदलाव को लेकर कहा, 'कलाइयों के स्पिन गेंदबाज को खेलते हुए बल्लेबाजों के मन में डर बना रहता है क्योंकि वह यह नहीं जान पा रहे हैं कि गेंद किस दिशा में घूम रही है। ज्यादातर बल्लेबाज इनकी गेंदबाजी उनके हाथ से निकलने के दौरान नहीं पढ़ पा रहे हैं।' भारतीय टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने कहा, 'कलाइयों के स्पिनर अपनी टीम विकल्प और विविधता दोनों दे रहे हैं। इन्हें खेलने के दौरान बल्लेबाज गलती कर ही जाते हैं ।'
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विश्व क्रिकेट में बढ़ा कलाई के स्पिनरों का दबदबा