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ज्‍यादा तनाव  गंजे होने का कारण 

ज्‍यादा तनाव  गंजे होने का कारण 

आजकल बाल झड़ने की शिकायते बहुत सामान्य हैं और इसके बचाव के लिए तरह तरह के विज्ञापनों के साथ दावें भी किये जाते हैं .इसके पीछे मूल कारण बिना विज्ञापनों के भ्रामक प्रचार में फंस कर लुटाते हैं और प्रतिफल शून्य होता हैं .
           बीमारी के दो स्थान होते हैं मन और शरीर .जब शरीर में रोग होता हैं तो उसका प्रभाव मन पर पड़ता हैं और मन दुखी होता हैं तो उसका प्रभाव शरीर पर पड़ता हैं .आजकल रासायनिक साबुन ,और शैम्पू का उपयोग  बहुत करने से बहुत नुक्सान होते हैं और इसका प्रभाव हमारे सर के बालों पर पड़ता हैं .जबकि इसका एक प्रमुख कारण तनाव भी होता हैं .तनाव कम से कम करे .
          क्या आपके बाल भी बहुत अधिक झड़ने लगे हैं या धीरे-धीरे पूरी तरह गंजे होते जा रहे हैं? अगर हां, तो इसकी वजह  तनाव हो सकता है। शोध  से इस बात की पुष्टि हो गई है कि तनाव की वजह से ना केवल बाल झड़ने लगते हैं बल्कि आप पूरी तरह से गंजे भी हो सकते हैं।
        आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम आगे बढ़ने की चाह में एक ऐसी स्थिति में आ गए हैं, जहां ना तो खाने का कोई समय है और ना ही सोने का। इसके अलावा पिछड़ने का डर मन में हमेशा ही बना रहता है। यही सब कारण तनाव को जन्म देते हैं। एक लंबे समय से यह बहस जारी थी कि क्या तनाव की वजह से बाल झड़ते हैं?
             शोधकर्ताओं के मुताबिक, तनाव की वजह से मॉलिक्यूल प्रभावित होते हैं, इसके कारण रेस्टिंग फेज में गड़बड़ी पैदा हो जाती है। जिसकी वजह से बाल ना केवल झड़ने लगते हैं, बल्कि उनकी जगह नए बालों की ग्रोथ भी नहीं होती। यानी अगर आपके बाल तनाव की वजह से झड़ रहे हैं तो आप जल्दी ही गंजे भी हो सकते हैं।
         बालों के झड़ने और त्वचा  से संबंधित समस्याओं को लेकर हर व्यक्ति के पास अपनी ही एक कहानी होती है। ऐसे में अब तक यह पूरी तरह पता नहीं चल पाया था कि क्या सच में बालों के झड़ने के पीछे तनाव जिम्मेदार है भी या नहीं।
         तनाव की वजह से स्टेम सेल को सक्रिय होने में ना केवल समय लगता है, बल्कि तनाव की वजह से यह अचानक बदलता भी है जिससे हेयर फॉलिकल प्रभावित होते हैं। ऐसे में बालों के झड़ने की समस्या और गहराई से समझने के लिए चूहों पर यह रिसर्च की गई है।
          दशकों से बाल झड़ने की बहस को सही दिशा देने के लिए शोधकर्ताओं ने एड्रेनल ग्लैंड को लेकर एक प्रयोग किया। ज्ञात हो कि एड्रेनल ग्लैंड के जरिए ही स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिकॉस्टरॉन निकलता है। इसी के कारण बाल भी तेजी से झड़ते हैं। ऐसे में इसे और गहनता से समझने के लिए चूहों का सहारा लिया गया।
             इस प्रयोग में चूहों की सर्जरी कर एड्रेनल ग्लैंड को ही निकाल दिया गया। इसके बाद देखा गया कि चूहों में रेस्टिंग फेज काफी कम समय के लिए आता है और फिर बालों की ग्रोथ होने लगती है। लेकिन जब इन्हीं चूहों को कॉर्टिकॉस्टरॉन की कुछ डोज दी गईं, तो इससे इनके बालों के बढ़ने की रफ्तार में कमी आई।
          बाल झड़ने में स्ट्रेस की क्या भूमिका होती है? इसके सटीक परिणाम हासिल करने के लिए दूसरा प्रयोग किया। इस प्रयोग में कुछ स्वस्थ चूहों को नौ सप्ताह के लिए रखा गया और इन्हें कॉर्टिकॉस्टरॉन के डोज दिए गए। यह डोज देने के बाद देखा गया कि इन चूहों के रेस्टिंग फेज काफी लंबे होने लगे। वहीं, इस दौरान बालों की ग्रोथ पूरी तरह रुक गई।
            इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि बालों के फॉलिकल के नीचे एक तरह के डर्मल पैपलिया सेल भी होता है, जिससे स्ट्रेस हार्मोन चिपकने लगता है। इसी के कारण बालों की ग्रोथ पूरी तरह रुक जाती है। जिसकी वजह से फॉलिकल रेस्टिंग फेज में अधिक समय तक रह नहीं पाता और बाल झड़ने लगते हैं।
          अब अगर आप आसान शब्दों में बालों की ग्रोथ का गणित समझना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि हेयर फॉलिकल का पूरा चक्र हिस्सों में बंटा होता है। इसके पहले हिस्से में बाल लगातार आते रहते हैं। दूसरे हिस्से में रेस्टिंग फेज होता है, इस दौरान बाल गिरने से पहले इसी स्थिति में बने रहते हैं और इस चरण में बाल नहीं उगते। इसके बाद आता है आखिरी हिस्सा, इसमें बाल गिरने से पहले उनके नीचे फॉलिकल सिकुड़ने लगते हैं।
               इससे यह बात  समझ में आयी हैं की तनाव भी एक कारण हैं गंजेपन का
(लेखक --डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन) 

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