नए वर्ष 2021 की शुरूआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख डॉ. मोहनराव भागवत के बीच संघ की मौजूदा कार्यप्रणाली व भावी कार्यशैली को लेकर लम्बी चर्चा हुई थी, उसी चर्चा के दौरान लिए गए फैसलों पर अब अमल नजर आने लगा है, संघ में संगठनात्मक बदलाव और संघ के वरिष्ठों की भाजपाशासित राज्यों में तैनाती उन्हीं फैसलों को मूर्तरूप देने के प्रयास है। अब संघ के वरिष्ठ नेता न सिर्फ भाजपा की राज्य सरकारों के कार्यों पर नजर रखेंगे, बल्कि संध अपने मुख्यमंत्रियों को समय-समय पर आवश्यक निर्देश भी प्रदान करेगा। मध्यप्रदेश में संघ के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन वैद्य का स्थायी मुकाम इसी योजना के तहत कायम किया गया है। यही स्थिति अन्य भाजपाशासित राज्यों में भी कायम होने वाली है और अपनी सरकारों को उचित मार्गदर्शन देने की बागडोर संघ के वरिष्ठों को सौंपी जा रही है।
अब संघ से यह भी कहा गया है कि वह सिर्फ सरकार पर ही नहीं बल्कि भाजपा संगठन पर भी नजर रखें, कहा गया है कि संघ तथा भाजपा मिलकर अब राज्यों में पार्टी की स्थिति मजबूत करेगें और अ पनी राज्य सरकारों से जनहित व जनकल्याण की अधिक-अधिक योजनाएं लागू करवाकर पार्टी और उसकी राज्य सरकारों को स्थायित्व प्रदान करने का अहम दायित्व निभाएगें।
आज एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी ने शनै: शनै: देश के सभी राज्यों की सरकारों पर कब्जा करने की तैयारी गृहमंत्री और वरिष्ठतम नेता अमित भाई शाह के नेतृत्व में शुरू कर दी है, जिसका श्री गणेश पश्चिम बंगाल से करने के प्रयास है, वहीं अगले लोकसभा चुनाव (2024) से पहले होने वाले करीब डेढ दर्जन राज्यों में भी अपनी पार्टी की सरकारें स्थापित करने की रणनीति तैयार कर ली गई है। चूंकि देश का राजनीतिक माहौल बहुत कुछ नरेन्द्र मोदी जी के आकर्षण के कारण भाजपा के पक्ष में है, इसलिए भाजपा इस माहौल का पूरा फायदा उठाकर अगले तीन सालों में देश पर छा जाना चाहती है और जहां तक तीन साल बाद होने वाले लोकसभा चुनावों का सवाल है, भाजपा को विश्वास है कि अकेला अयोध्या के राम मंदिर निर्माण का मुद्दा मोदी जी को तीसरी बार प्रधानमंत्री का सिंहासन सुरक्षित कर देगा, इसीलिए ठीक लोकासभा चुनाव के पूर्व तक अयोध्या के भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण करने के प्रयास किए जा रहे है, जिससे कि अकेले इसी मुद्दें पर भाजपा को फिर से विजय श्री हासिल हो जाए।
.....और यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि भाजपा के इस ’सप्तरंगी‘ सपने को साकार रूप प्रदान करने में संघ की भी अहम भूमिका तय की गई है। संघ में बदलावकर उसे युवाओं जोड़ने और दत्तत्रेय होसबोले जैसी शख्सियत को संघ में अहम्् जिम्मेदारियां सौंपना मोदी-भागवत की गुतगूं का ही एक हिस्सा है।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि मोदी जी के पिछले सात सालों के प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान संघ निष्क्रीय ही रहा, वह संघ जो भाजपा तथा उसके अन्य साथी हिन्दूवादी संगठनों के संरक्षक की भूमिका में था, उसे मोदी जी के अब तक के कार्यकाल के दौरान दोयम दर्जे का संगठन बनकर समय गुजारना पड़ा, किंतु जब मोदी जी को संघ की विस्तारिक स्थिति व जन-जन तक उसकी पहुंच तथा ग्रामीण क्षेत्रों में भी उसकी पैठ का अहसास हुआ और उन्होंने संघ की नई भूमिका को लेकर संघ प्रमुख से लम्बी चर्चा की, तब संघ में भी ऊर्जा का संचार हुआ और वह केन्द्र सरकार व भाजपा संगठन के साथ कदमताल करने को तैयार हुआ और इसमें कोई दो राय नहीं कि चूंकि संध की अपनी शाखाओं के माध्यम से आंचलिक ग्रामीण क्षेत्रों तक अच्छी-खासी पैठ है, तो उसका उपयोग भाजपा को समय रहते बहुत पहले कर लेना चाहिए था, किंतु खैर, अभी भी कोई विशेष देरी नहीं हुई है, सपनों को साकार करने का भाजपा, संघ और प्रधानमंत्री के पास पर्याप्त समय है। यदि संघ ने पूर्ण निष्ठा व समर्पण भाव से अपना दायित्व पूरा किया तो अगले दो-तीन साल में भारत का राजनीतिक नक्शा बदल सकता है।
(लेखक -ओमप्रकाश मेहता)
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बदली भूमिका में संघ-अब भाजपा सरकारों पर संघ का दबदबा रहेगा....?