नई दिल्ली । उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और एम्स से यह बताने के लिए कहा है कि ‘राजधानी या इसके आसपास ऐसा कोई संस्थान है जहां पर सिजोफ्रेनिया पीड़ित मरीजों का इलाज होता होगा। न्यायालय ने यह आदेश एक महिला की याचिका पर दिया है। महिला ने इस बीमारी से पीड़ित अपने बेटे के समुचित इलाज और अन्य सहायता की मांग की है। जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने इस बारे में महिला की ओर से पेश अधिवक्ता से भी इस तरह का कोई संस्थान है तो उसकी जानकारी देने को कहा है। उन्होंने सरकार और एम्स से ऐसे संस्थानों की सूची मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल से पहले पेश करने को कहा है। न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता महिला ने अपने बेटे को एम्स में दिखाया। जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने महिला से कहा कि उसका बेटा सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है। याचिका के अनुसार नियमों के तहत कोरोना की जांच के बाद उसे अस्पताल के मनोरोग विभाग में भर्ती किया जाना था। लेकिन भर्ती होने से पहले मरीज अस्पताल परिसर से भाग गया। उच्च न्यायालय ने कहा है कि मामले की प्रकृति और याचिकाकर्ता के बेटे की चिकित्सा स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार और एम्स को यह देना उचित रहेगाकि वे दिल्ली और उसके आसपास स्थित उन सुविधाओं की एक सूची पेश करें जहां पर सिजोफ्रेनिया रोगियों को देखभाल और उपचार प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से भी कहा है कि यदि महिला फोन करे तो उसकी चिंताओं का तत्काल समाधान निकालें। हालांकि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि पुलिस अधिकारियों को महिला के घर पर कोई नियमित दौरा करने की जरूरत नहीं है, जब तक कि वह सहायता के लिए मदद फोन नहीं करें।
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राजधानी और आसपास कहां होता है सिजोफ्रेनिया के मरीज का इलाज