ब्रिटेन के सेंटर फॉर पोलर ऑब्जर्वेशन एंड मॉडलिंग (सीपीओएम) के वैज्ञानिकों अनुसार अंटार्कटिक क्षेत्र में बर्फ तेजी से पिघल रही है। पश्चिमी अंटार्कटिक में बदलाव के साथ ही कई स्थानों पर बर्फ की परत 122 मीटर तक पतली हो गई है। इसकी वजह से बर्फ पिघलने से अधिकतर ग्लेशियर का संतुलन बिगड़ रहा है। सीपीओएम ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सेटेलाइट आंकलनों व क्षेत्रीय जलवायु के मॉडल के माध्यम से पूरे आच्छादित क्षेत्र में हुए बदलाव पर गौर किया। शोधकर्ताओं के अनुसार तेजी से पिघल रही बर्फ की वजह से ग्लेशियर अस्थिर हो गए हैं। वर्ष 1992 से पश्चिमी अंटार्कटिक में बर्फ पिघलने वाले क्षेत्र का दायरा बढ़कर 24 फ़ीसदी तक हो गया। सर्वे शुरू होने के बाद से 5 गुना तेजी से बर्फ पिघल रही है। सीपीओएम के निदेशक एंडी शेफर्ड के अनुसार अंटार्कटिक के कुछ भागों की बर्फ की परत असामान्य रूप से पतली हो गई है। शोधकर्ताओं का मानना है कि बर्फ की मोटी परत में बदलाव कम बर्फबारी और जलवायु के दीर्घकालीन बदलावों मसलन समुद्र का तापमान बढ़ने से आया है। उन्होंने बताया कि पूर्व से लेकर पश्चिम अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने से 1992 से वैश्विक स्तर पर समुद्र का जलस्तर 4.6 मिलीलीटर बढ़ गया है।