नई दिल्ली । इलाहाबाद हाईकोर्ट के पांच शहरों में पूर्ण लॉकडाउन के आदेश का पालन करने से इनकार करने वाली यूपी सरकार अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में है। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को राज्य की सरकारी याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 अप्रैल को प्रदेश में कोरोना के विस्फोटक संक्रमण और विफल चिकित्सा तंत्र को देखते हुए प्रदेश के 5 अधिक प्रभावित शहरों में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू कर दिया है। केवल जरूरी सेवाओं की ही अनुमति दी गई है। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर नगर, वाराणसी व गोरखपुर मे लॉकडाउन लागू करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार को कोरोना संक्रमण पर लगाम के लिए प्रदेश मे दो सप्ताह तक पूर्ण लॉकडाउन लागू करने पर विचार करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने पिछले निर्देशों पर शासन की कार्रवाई को संतोषजनक नहीं माना और कहा कि लोग सड़कों पर बिना मास्क के चल रहे हैं। 100 फीसदी मास्क लागू करने में पुलिस विफल रही है। संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों में दवाओं व आक्सीजन की काफी कमी है। लोग दवा के अभाव में इलाज बगैर मर रहे हैं और सरकार ने कोई फौरी योजना नहीं बनाई। न ही पूर्व तैयारी की।
डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ सहित मुख्यमंत्री तक संक्रमित हैं। मरीज इलाज के लिए अस्पतालों के लिए दौड़ लगा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस आपदा से निपटने के लिए सरकार के लिए तुरंत इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना कठिन है लेकिन युद्ध स्तर पर प्रयास की जरूरत है। इस पर पर पूर्ण लॉकडाउन के आदेश पर योगी सरकार ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल यूपी में पूर्ण लॉकडाउन का इरादा नहीं है। योगी सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि सख्ती कोरोना के नियंत्रण के लिए आवश्यक है। इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं और आगे भी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। जीवन बचाने के साथ साथ गरीबों की आजीविका भी बचानी है। अत: शहरों में सम्पूर्ण लॉकडाउन अभी नही लगेगा। प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार ने पहले ही संक्रमण की रोकथाम के लिए अनेक निर्णय लेकर उन्हें लागू किया है। इन उपायों के तहत कन्टेनमेंट जोन के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया गया है। सभी जिलों में रात्रिकालीन कोरोना कर्फ्यू के साथ साथ 15 मई तक पूरे प्रदेश में रविवार को साप्ताहिक बंदी घोषित की गई है। इसका उपयोग ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वच्छता, सैनिटाइजेशन और फॉगिंग के विशेष अभियान के संचालन के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मास्क के अनिवार्य उपयोग को कड़ाई से लागू कराया जा रहा है। इस संबंध में प्रवर्तन की प्रभावी कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। पहली बार बिना मास्क के पकड़े जाने पर एक हजार रुपये तथा दोबारा बिना मास्क के पकड़े जाने पर 10 हजार रु का जुर्माना वसूलने का निर्णय लिया है। सार्वजनिक आयोजन में खुले स्थान पर अधिकतम 100 व्यक्ति तथा बन्द स्थान पर अधिकतम 50 व्यक्तियों की सीमा तथा पूर्ण कोविड प्रोटोकॉल के पालन के साथ अनुमन्य किया गया है। यह निर्देश भी दिए गए हैं कि किसी भी धार्मिक स्थल में एक समय में पांच से अधिक व्यक्ति न जाएं। रेलवे स्टेशन, बस अड्डों तथा एयरपोर्ट पर लोगों की इंफ्रारेड थर्मामीटर तथा पल्स ऑक्सीमीटर से स्क्रीनिंग तथा लक्षण के आधार पर टेस्टिंग प्रभावी ढंग से जारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
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5 शहरों में पूर्ण लॉकडाउन के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची योगी सरकार