नई दिल्ली । अभूतपूर्व कोरोना संकट के दौरान, जिसमें दुनिया भर में लगभग 15 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, दुनिया के पूजीपतियों की पूंजी में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। बिल गेट्स लेकर एलन मस्क और अंबानी से लेकर अडानी तक इस दौरान अपनी दौलत में बेशुमार वृद्धि करने में कामयाब रहे। दूसरी तरफ दुनिया के 8 करोड़ से ज्यादा परिवार मध्यमवर्ग से गरीबी में धकेल दिए गए हैं।
कुछ समय पूर्व वैश्विक संस्थाओं ने एक आंकलन किया था जिससे पता चला है कि भारत जैसे विकासशील देशों में ही नहीं बल्कि गरीब देशों में भी पूंजीपतियों की संख्या तेजी से बढ़ी है लेकिन इन देशों में मध्यम वर्ग और गरीब हो चला है। इसे देखकर अब यह कहा जा रहा है कि कोरोना संकट ऐसा जैविक युद्ध है जो दुनिया के धनाढ्य लोगों के लिए खुशखबरी और गरीबों के लिए मातम का सबब बन गया है।
चौंकाने वाला तथ्य यह है कि दुनिया के हर पूंजीपति ने कोरोना की रिसर्च अथवा इससे जुड़े अनुसंधान और दवा आदि में निवेश किया है। बिल एवं मेलिंडा फाउंडेशन ने भी कोरोनावायरस की शोध के लिए बड़ी धनराशि दी है। अनेक पूंजीपति, फार्मा कंपनियों के मालिक कोरोना वैक्सीन से लेकर कोरोनावायरस की दवाओं को इजाद करने के लिए अरबों रुपए की राशि खर्च कर चुके हैं और अब इस निवेश की फसल काटी जा रही है। बड़ी जनसंख्या को गरीबी में धकेलने की इस साजिश में विश्व स्वास्थ संगठन भी पूंजीपतियों के साथ है।
कोरोना बीमारी को आए 18 माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास कोई ठोस और प्रामाणिक योजना इस महामारी से निपटने की नहीं है। पहले कहा जा रहा था कि यह वायरस आपसी संपर्क से फैलता है। फिर कहा गया कि ठंडे देशों में ज्यादा फैलेगा और उष्णकटिबंधीय तथा गर्म देशों में तापमान के कारण वायरस मर जाएगा। यह भी कहा गया कि हवा से यह वायरस नहीं फैलता है किंतु अब कहा जा रहा है कि हवा से भी वायरस फैल रहा है। लगातार बदलते बयान किसी साज़िश की तरफ इशारा कर रहे हैं। कहीं कोरोना महामारी साज़िशन फैलाया गया जैविक युद्ध तो नहीं है।
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कोरोना काल में दुनिया भर के पूंजीपतियों के हाथ में चली गई मध्यमवर्ग की दौलत