अब कैंसर का जल्दी पता लगाया जा सकेगा, ताकि इसका समय रहते इलाज किया जा सके और मरीज को बचाया जा सके। शोधकर्ताओं ने एक बेहद नया और सस्ता फिंगर प्रिक ब्लड टेस्ट डिवेलप किया है, जो कैंसर का शुरुआती स्टेज में ही पता लगाने के लिए गोल्ड प्लेटेड नैनो कणों का असरदार तरीके से इस्तेमाल करता है। सिडनी स्थित न्यू साउथ वेल्स की यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम ने नैनोकणों का उपयोग टारगेटेड माइक्रोआरएनए को समझने के लिए बेहद छोटे स्तर पर किया, जिससे कि उन्हें आसानी से निकाला जा सके। यूनिवर्सिटी के प्रफेसर जस्टिन गुडिंग ने कहा, 'हम ब्लड में मौजूद ऐसे छोटे अणु ढूंढ रहे हैं जो यह भी पता लगा सकें कि कैंसर किस प्रकार का है।'इस स्टडी में टीम ने बताया कि उसने गोल्ड-कोटेड चुंबकीय नैनोकणों को डीएनए के साथ संशोधित किया ताकि वे ऐसा माइक्रोआरएनए डिटेक्ट कर सके, जो वे खुद भी डिटेक्ट करना चाहते थे। गुडिंग ने आगे कहा कि नैनोकण, असल में फैलने योग्य इलेक्ट्रोड हैं। जब वे ब्लड के माध्यम से शरीर में फैलते हैं तो वे माइक्रोआरएनए को कैप्चर कर लेते हैं। इससे उन्हें ज़्यादा माइक्रोआरएनए मिल जाते हैं क्योंकि डिस्पर्सिबल इलेक्ट्रोड ब्लड सैंपल में मौजूद लगभग हर कण को कैप्चर कर लेते हैं। खास बात यह है कि कैंसर का जल्द पता लगाने की यह तकनीक ज़्यादा महंगी भी नहीं है और पारंपरिक तरीकों से काफी अलग है। गुडिंग ने अनुसार, यह टेक्नॉलजी तीन सालों के अंदर ही मिलनी शुरू हो जाएगी। कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के पसीने छूट जाते हैं। यह बीमारी है ही ऐसी, जिसका कई दफा शुरुआत में पता नहीं चलता और जब पता चलता है, तब काफी देर हो चुकी होती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।