मुंबई । महाराष्ट्र में कोरोना काल में बढ़ते केस के साथ ही ऑक्सीजन की कमी से देखने को मिल रही है। अगर उद्धव सरकार पहले ध्यान देती तो ऐसी हालात नहीं होती। दरअसल राज्य विधानमंडल का पहला सत्र सितंबर 2020 में आयोजित किया गया था। वित्तमंत्री अजीत पवार ने 10 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणा की थी। विधान परिषद ने आठ महीने पहले ही हर जनपद में एक ऑक्सीजन प्लांट लगाने का सुझाव दिया था। राज्य विधानमंडल का पहला सत्र सितंबर 2020 में आयोजित किया गया था। इस सत्र में डॉ. रंजीत पाटिल ने सदन को संबोधित करते हुए कहा था कि कोविड-19 के कारण ऑक्सीजन आपूर्ति की स्थित विकट होने वाली है। उन्होंने कहा था कि अगर हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगाया तो आगे जाकर स्थिति हाथ से निकल सकती है। प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी ऑक्सीजन सप्लाई की जिम्मेदारी सरकार की होगी। वेंटिलेटर और दवाइयों से काम नहीं होगा। तब पाटिल के सुझाव पर वित्तमंत्री अजीत पवार ने 10 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणा की थी। लेकिन इससे अमल पर नहीं लाया गया। रंजीत पाटिल ने कहा कि किसी भी सरकार या जिला प्रशासन के लिए ऑक्सीजन प्लांट लगाना बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा, 100 बिस्तरों से अधिक हॉस्पिटल में एक बड़ा ऑक्सीजन प्लांट लगाना अनिवार्य करना चाहिए। यहां तक कि नगर निगम भी इतना सरलता से भार उठा सकती है।डॉ. पाटिल महाराष्ट्र के अकोला जनपद के एक प्राइवेट अस्पताल के संचालक मंडल में है। इस हॉस्पिटल में करीब 5 साल पहले सिर्फ 35 लाख रुपए खर्च कर ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था। अब कोरोना महामारी के समय अस्पताल ऑक्सीजन की जरूरतों को पूरा कर रहा है। इस प्लांट में हर दिन 300 जंबो सिलेंडर भरे जा रहे हैं। अब एक और प्लांट अस्पताल में तैयार होने वाला है। इस पर लगभग 55 लाख का खर्च आएगा। रंजीत पाटिल ने कहा कि 55 लाख रुपए देश के किसी भी हॉस्पिटल के लिए बड़ा खर्चा नहीं है।
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महाराष्ट्र सरकार को मिला था ऑक्सीजन प्लांट लगाने का सुझाव -आठ महीने पहले दे देते ध्यान तो नहीं होते ऐसे हालात