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बीते 9 सालों में फंदे में फंस कर 24 बाघों और 114 तेंदुओं की मौत

बीते 9 सालों में फंदे में फंस कर 24 बाघों और 114 तेंदुओं की मौत

यह एक ऐसा बचाव अभियान था जो बहुत देर में शुरू हुआ। महाराष्ट्र के टिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य में एक बाघिन के गले के चारों ओर तकरीबन दो साल तक तार का फंदा कसा था। इस सात 17 मार्च को जब बाघिन के बारे में जानकारी हुई तब तक उसकी हालत काफी गंभीर हो चुकी थी। उसके घाव में कीड़े पड़ चुके थे। वह किसी तरह अपना जीवन ढ़ो रही थी, लेकिन जब वन विभाग के अधिकारियों ने उसे बेहोश कर उसके इलाज का प्रयास किया तो कुछ ही घंटों के भीतर उसकी मौत हो गई। 
इस घटना के एक माह बाद एक और बाघिन की मौत का मामला सामने आया। ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में मृत पाई गई इस बाघिन का गला तारों से जकड़ा हुआ था। हर साल भारत में बहुत से बाघ और तेंदुए जाल की चपेट में आकर या तो घायल होते हैं या फिर उनकी मौत हो जाती है। यह एक ऐसा खतरा है जिसे बाघों की जिंदगी के सामने पड़ने वाले खतरों के रूप में नहीं दर्ज किया जाता है। देशभर के टाइगर रिजर्व में 9 साल के दौरान 24 बाघ और 114 तेंदुए इन जालों में फंसकर धीमी और अत्यंत पीड़ादायक मौत का शिकार बन चुके हैं।
इस खतरे से निपटने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया गया। ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि हाल के दिनों में जिन बाघों की मौत हुई है, उनमें टाइगर रिजर्व के बीचोंबीच में जाल पाए गए। कई बार शिकारी लोहे का जाल बिछा देते हैं तो कभी-कभी स्थानीय लोग अपने मवेशियों का शिकार होने से बचाने के लिए जाल का इस्तेमाल करते हैं। शिकार और जानवरों के अवैध कारोबार पर निगरानी रखने वाली संस्था वाइल्डलाइफ प्रटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया ने 2010 से 2018 के दौरान जाल से होने वाली बाघों की मौत पर अध्ययन किया है। इसके मुताबिक मौतों के अलावा कई बार उन्हें गंभीर इंजरी भी हुई। सतपुड़ा फाउंडेशन के किशोर रिठे बाघों के संरक्षण पर काम करते हैं। रिठे कहते हैं कि उन्होंने 2012 में इन तारों के संबंध में एक मानक प्रक्रिया निर्धारित की थी लेकिन वह तभी से धूल फांक रही है।
रिठे ने बताया टाइगर रिजर्व में पट्रोलिंग के दौरान मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे ऐसे जाल का पता लगाने में मदद मिलेगी। वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) से जुड़े जोस लुई कहते हैं हजारों जानवर ऐसे जाल का शिकार होते हैं, लेकिन यह मामला तभी चर्चा में आता है, जब कोई बाघ या तेंदुआ पकड़ा जाता है। लुई बताते हैं, डब्ल्यूटीआई और कर्नाटक वन विभाग ने 2012 से अब तक 2 हजार से ज्यादा जाल जब्त किए हैं। कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व हम आस-पड़ोस के गांववालों से मदद लेकर जाल के बारे में पता लगाते हैं।
महाराष्ट्र के टिपेश्वर टाइगर रिजर्व के डीएफओ दीपक चोंडेकर कहते हैं कि 2010 में जब मैं सिवनी में तैनात था तो मैंने 100 से ज्यादा जाल जब्त किए थे। ऐसे ज्यादातर मामलों में अपराध सिद्ध नहीं हो पाता है। वहीं ताडोबा में बाघों की मौत के बाद अधिकारी एक्शन में आ गए हैं। चार संदिग्ध शिकारियों को पकड़ा गया है। महाराष्ट्र के मुख्य वन्यजीव संरक्षक नितिन एच काकोडकर कहते हैं एक नियमित अंतराल पर टाइगर रिजर्वों में जाल के खिलाफ ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वन विभाग ने अभयारण्य के मुख्य इलाकों में अपना अभियान केंद्रित किया है। 

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