मुंबई । बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों के बर्ताव पर तीखी बात कही। कोर्ट ने कहा कि लोगों को सरकार को दोष देने से पहले खुद अपने व्यवहार में संयम और अनुशासन लाना चाहिए। सुनवाई के दौरान जस्टिस रवींद्र घुगे और बीयू देबाद्वार ने कहा कि ऐसे पब्लिक सर्वेंट जो ड्यूटी पर नहीं हैं, समेत सभी आम लोग, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें और आधार कार्ड पास में रखें। जस्टिस घुगे ने कहा कि सरकार को दोष देने से पहले एक नागरिक होने के नाते हमें कुछ जिम्मेदारी और संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। उन्हें अपने व्यवहार में संयम और अनुशासन रखना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि योजनाएं और सिस्टम अच्छे हैं, लेकिन लोग ही इन्हें खत्म और बर्बाद करते हैं। हम युवाओं, लड़कियों और लड़कों को बाहर देखते हैं, वे बिना किसी मकसद के बाहर घूम रहे होते हैं। कई बार एक बाइक पर तीन लोग दिख जाते हैं। कभी-कभी बिना हेलमेट और मास्क के चार लोग भी एक बाइक पर जाते हैं।
हर शख्स मास्क पहने और ठीक से पहने
अदालत ने कहा कि घर से बाहर कदम रखने वाले हर शख्स को मास्क पहनना होगा, ताकि उसका मुंह और नाक कवर रहे। अक्सर ठोड़ी के नीचे मास्क पहनकर या मुंह खुला रखकर बाहर घूमने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि किसी पार्टी का कोई नेता या एक रसूखदार व्यक्ति लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों की मदद करने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल नहीं करेगा। बेंच ने पिछले सप्ताह ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी और कोरोना से जुड़े नियमों का पालन न होने पर स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने कहा कि ऑक्सीजन और रेमडेसिविर के समान बंटवारे पर सरकार की पॉलिसी में दखल देने वाला कोई आदेश देने का उनका इरादा नहीं है।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा-सरकार को दोष देने से पहले लोग बर्ताव सुधारें