नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि लोगों ने बड़े-बडे अस्पताल तो खड़े कर लिए लेकिन कभी अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए कदम नहीं उठाए। कोर्ट ने कहा कि यही हाल सरकारी अस्पतालों का है, हम अब इतनी बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं, जो है उसी से काम चलाना होगा। हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी तब कि जब बत्रा अस्पताल ने कहा कि उसे उसके हिस्से की पूरी ऑक्सीजन नहीं मिल रही है।
महाराजा अग्रसेन अस्पताल ने भी अदालत में शिकायत दर्ज कराई कि उसे होटल के साथ जोड़ा गया है लेकिन इसमें ऑक्सीजन सहित सुविधाएं नहीं हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि आपने सही कहा कि यह सब कागजी कवायद है। व्यवस्था करने से पहले आप होटल को अटैच नहीं कर सकते। आपके पास डॉक्टर नहीं, मेडिकल स्टॉफ नहीं, ऑक्सीजन नहीं है और आप होटलों को अटैच कर रहे हैं। दिल्ली सरकार ने कहा कि हम सिर्फ उन होटलों को अटैच करते हैं जिनमें इंतजाम किया गया है।
दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया ऑक्सीजन को लेकर अहम आदेश जारी किए गए हैं। केंद्र के फार्मूले के तहत अस्पतालों व सप्लायरों की सूची तैयार की गई है। दिल्ली सरकार के वकील ने ऑक्सीजन सप्लायर का ब्यौरा अदालत में पेश किया। आज 14 ऑक्सीजन रिफिलर हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं जिनकी क्षमता अत्यधिक है और कुछ की कम है। प्रत्येक अस्पताल के लिए एक रिफिलर को जोड़ा गया है। यदि मुख्य आपूर्तिकर्ता ऑक्सीजन सप्लाई नहीं कर पा रहा है तो रिफिलर से पूरा किया जा रहा है। अब एक अस्पताल के लिए एक रिफिलर है और एक लिंक रिफिलर भी है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि लेकिन क्या उन लोगों को ऑक्सीजन मिलेगी जो लोग घर पर इलाज कर रहे हैं? उनको भी तो ऑक्सीजन मिलनी चाहिए।
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बड़े-बड़े सरकारी गैर सरकारी अस्पतालों ने ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए कदम नहीं उठाए - हाईकोर्ट