नई दिल्ली । ब्रह्मांडीय अंतरिक्ष में उच्च ऊर्जा के कण आम तौर पर कम संख्या में होते हैं। लेकिन इलेक्ट्रॉनों के समकक्ष एंटीमैटर के उच्च ऊर्जा वाले कणों, जिन्हें पॉज़िट्रॉन कहा जाता है, की अधिक संख्या ने लंबे समय से वैज्ञानिकों को भ्रमित किया हुआ था। लेकिन अब उन्हें इस रहस्य का स्पष्टीकरण मिल गया है। वर्षों से खगोलविदों ने इलेक्ट्रॉन के समकक्ष एंटीमैटरया पॉज़िट्रॉन की अधिकता का अवलोकन किया है जिसमें 10 गीगा-इलेक्ट्रॉनवोल्ट्स या 10 जीईवी से अधिक की ऊर्जा होती है। एक अनुमान के अनुसार, यह 10,000,000,000 वोल्ट की बैटरी में धनात्मक रूप से आवेशित एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा है! हालांकि, 300 से अधिक जीईवी ऊर्जा वाले पॉज़िट्रॉन की संख्या खगोलविदों द्वारा अनुमान की गई संख्या की तुलना में कम है। 10 और 300 जीईवीके बीच की ऊर्जा वाले पॉज़िट्रॉन के इस व्यवहार को खगोलविद'पॉज़िट्रॉन अतिरेक' कहते हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बेंगलुरु स्थित एक स्वायत्त संस्थान, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई), के शोधकर्ताओं ने जर्नल ऑफ़ हाई एनर्जीएस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित एक नए शोध में इस रहस्य को सुलझाया है। उनका प्रस्ताव सरल है-मिल्की वे आकाशगंगा से गुजरते हुए कॉस्मिक किरणें उन पदार्थों से अंतःक्रिया करती है, जो अन्य कॉस्मिक किरणों, मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनों और पॉज़िट्रॉन, का उत्पादन करती हैं। इस शोध – प्रबंध के लेखक अग्निभा डे सरकार, सायन विश्वास और नयनतारा गुप्ता का तर्क है कि ये नई कॉस्मिक किरणें 'पॉज़िट्रॉन अतिरिक्त' प्रक्रिया की मूल हैं।
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आकाशगंगा से गुजरने वाली कॉस्मिक किरणें, इलेक्ट्रॉन के समकक्ष अतिरेक एंटीमैटर पैदा करने वाले पदार्थ के साथ अंत:क्रिया करती