कोलकाता । पश्चिम बंगाल में लेफ्ट फ्रंट का सूपड़ा साफ होने पर ममता बनर्जी ने कहा, मैं राजनीतिक तौर पर उनका विरोध करती हूं, लेकिन उन्हें शून्य पर नहीं देखना चाहती। 2011 में लेफ्ट फ्रंट का 34 साल पुराना दुर्ग बंगाल में ढहाने वाली ममता बनर्जी ने कहा कि अगर भाजपा की जगह लेफ्ट फ्रंट ने सीटें जीती होतीं तो बेहतर होता।
ममता ने साफ संकेत दिया कि वे विधानसभा में विपक्षी बेंचों पर बीजेपी की जगह लेफ्ट को देखना ज्यादा पसंद करेंगी। मुख्यमंत्री ने कटाक्ष मारते हुए कहा, बीजेपी को समर्थन देने के अतिउत्साह में उन्होंने अपने आपको बेच दिया और साइनबोर्ड बन गए। उन्हें इस बारे में सोचना पड़ेगा। आजादी के बाद यह पहली बार है कि बंगाल विधानसभा की 294 सीटों में लेफ्ट या कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली है। लेफ्ट और कांग्रेस की जगह बीजेपी ने ले ली है और वह तेजी से उभर रही है।
लेफ्ट के नेताओं ने पार्टी के प्रदर्शन को विनाशनकारी बताया है। कई नेताओं ने माना है कि इस्लामिक धर्मगुरु अब्बास सिद्दीकी के साथ गठबंधन पार्टी की बड़ी भूल थी। बंगाल में बीजेपी की जीत की संभावना को देखते हुए मु्स्लिमों ने एकतरफा तरीके से ममता बनर्जी की पार्टी के पक्ष में वोट किया। यहां तक कि मालदा और मुर्शिदाबाद में भी उन्हें समर्थन नहीं मिला जो कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। कई लेफ्ट नेताओं ने माना है कि बंगाल में एंटी बीजेपी वोट एकमुश्त तौर पर तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में जाता दिखाई दिया। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के नेता मनोज भट्टाचार्य ने कहा कि एक तानाशाह ने दूसरे तानाशाह पर जीत दर्ज की। आम जनता बीजेपी को रोकना चाह रही थी और उसे सिर्फ तृणमूल कांग्रेस ही विकल्प के तौर पर दिखाई दिया।
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अगर भाजपा की जगह लेफ्ट फ्रंट ने सीटें जीती होतीं तो बेहतर होता - ममता बनर्जी