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 विभाजन के समय के नरंसहार की याद दिलाता है दिल्ली दंगा: कोर्ट

 विभाजन के समय के नरंसहार की याद दिलाता है दिल्ली दंगा: कोर्ट

नई दिल्ली । दिल्ली दंगों को अदालत ने विभाजन के समय हुए नरसंहार की याद दिलाने वाला बताया। अदालत ने व्यापक पैमाने पर हुई हिंसा के दौरान दूसरे मजहब के एक लड़के पर हमला करने के आरोपी शख्स की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है। इस मामले मे एक युवक ने अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी और कहा था कि उसे झूठे मामले में फंसा़या गया है। कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यदव की अदालत ने आरोपी की अग्रिम जमाानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ लगे आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। सांप्रदायिक दंगे की आग भड़काने एवं उसकी साजिश रचे जाने का पर्दाफाश करने के लिए आरोपी से पूछताछ जरूरी है। जिसके लिए उसे हिरासत में लिया जाना जरूरी है। ज्ञात रहे कि पिछले साल फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़पों के अनियंत्रित हो जाने से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिस्सा भड़क गई थी, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। अदालत ने अपने 29 अप्रैल के आदेश में कहा कि यह सबको पता है कि 23, 24 एवं 25 फरवरी 2020 के दिन उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्से सांप्रदायिक उन्माद की भेंट चढ़ गए, जो विभाजन के दिनों के नरसंहार की याद दिलाते हैं। अदालत ने कहा कि जल्द ही, दंगे जंगल की आग तरह राजधानी के एक हिस्से के कोने-काेने तक फैल गए, कई इलाके इसकी चपेट में आ गए और बहुत सी मासूम जानें जाती रहीं। उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में एक किशोर पर दंगाई भीड़ ने 25 फरवरी को निर्मम तरीके से महज इसलिए हमला कर दिया था क्योंकि वह दूसरे समुदाय से था। अदालत ने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी के जवाब से साफ है कि सीसीटीवी फुटेज में आरोपी अपने हाथों में भाला लिए साफ-साफ दिख रहा है। जबकि इस मामले में अन्य आरोपी उसके दो बेटे और अब तक फरार हैं। 
 

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