कोलकाता । पश्चिम बंगाल की विधानसभा में इस बार सीएम ममता दीदी को बीजेपी की दीदी से कड़ी टक्कर मिलेगी। विधानसभा में दो दीदियों की टक्कर दिलचस्प होने का अनुमान लगाया जा रहा है। ममता बनर्जी को राज्य में ही नहीं, देश में भी हर कोई दीदी के नाम से संबोधित करता है। वहीं बीजेपी के टिकट पर जीतीं श्रीरूपा मित्रा चटर्जी को भी दीदी के नाम से बुलाया जाता रहा है। उन्होंने मालदा जिले की इंग्लिशबाजार सीट से जीत हासिल कर विधानसभा का सफर तय किया है। श्रीरूपा अपने समर्थकों के बीच निर्भया दीदी के नाम से लोकप्रिय हैं। फिलहाल निर्भया दीदी कोरोना से पीड़ित हैं और कोलकाता के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। 56 वर्षीय श्रीरूपा को अप्रैल के अंत में कोरोना हो गया था। महिला अधिकारों के लिए काम करने वालीं निर्भया दीदी को सरकार ने रेप, महिला तस्करी और हिंसा के खिलाफ बनी टास्क फोर्स का चेयरपर्सन बनाया था। 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप की घटना के बाद केंद्र सरकार ने 2012 में इस कमिटी का गठन किया था। यही नहीं मालदा जिले में चले 'निर्भय ग्राम' कैंपेन की शुरुआत भी उनकी ही देन है। इस कैंपेन के तहत उन्होंने गांवों को सशक्त करने और महिलाओं एवं बच्चों को मजबूती देने का अभियान चलाया था। श्रीरूपा ने टीएमसी के नेता और पूर्व मंत्री कृष्णेंदु नारायण चौधरी को 20,000 वोटों के बड़े अंतर से मात दी है। बंगाल विधानसभा में इस बार अलग-अलग पेशों के कई लोग देखने को मिलेंगे। बंगाली दलित लेखक मनोरंजन ब्यापारी भी विधानसभा पहुंच गए हैं। उन्होंने बीजेपी कैंडिडेट सुभाष चंद्र हलदर को हुगली जिले की बालागढ़ सीट से 5784 वोटों से मात दी है। पूर्वी पाकिस्तान के एक दलित परिवार में जन्मे मनोरंजन ब्यापारी उस वक्त पश्चिम बंगाल आ गए थे, जब वह महज तीन साल के ही थे। रिफ्यूजी कैंप में पले-बढ़े मनोरंजन को कभी औपचारिक शिक्षा नहीं मिल पाई। यही नहीं उन पर नक्सलियों से संबंध रखने के आरोप भी लगे थे और इसके चलते वह जेल भी गए थे। अपने शुरुआती दिनों में ब्यापारी ने कोलकाता में रिक्शा तक चलाया था। इसके बाद वह एक स्कूल में कुक के तौर पर दो दशक तक काम करते रहे। उनके दिन 2020 में अचानक बदले, जब ममता बनर्जी सरकार की ओर से गठित दलित साहित्य अकादमी का उन्हें चेयरमैन बनाया गया।
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विधानसभा में मिलेगी बीजेपी की दीदी से कड़ी टक्कर