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मराठा आरक्षण समाप्त करने के सुको के फैसले पर ठाकरे  ने केन्द्र से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया

मराठा आरक्षण समाप्त करने के सुको के फैसले पर ठाकरे  ने केन्द्र से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया


मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय का आरक्षण समाप्त करने के उच्चतम न्यायालय  के फैसले को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण'' बताते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे  ने केन्द्र से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया और कहा कि जैसे उसने अनुच्छेद 370 और कुछ अन्य मामलों में तत्परता दिखायी वैसे ही मराठा समुदाय को आरक्षण दिलवाने में वह सहायता करे। 
ज्ञात रहे कि मराठा समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण देने के 2018 के कानून को खारिज करते हुए न्यायालय ने उसे ‘‘असंवैधानिक'' बताया। निर्णय के बाद महाराष्ट्र में इस संवेदनशील मुद्दे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है और विपक्षी भाजपा तथा सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीपी) दोनों, न्यायालय द्वारा इस बारे में अनुकूल निर्णय नहीं होने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं।
न्यायालय के आदेश के बाद राज्य में उत्पन्न होने वाली संभावित विपरीत परिस्थितियों को समझते हुए मुख्यमंत्री ठाकरे ने केन्द्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने और मराठा समुदाय की इस समस्या का हल निकालने का अनुरोध किया है।
शीर्ष अदालत के निर्णय के बाद एक बयान में ठाकरे ने कहा, ‘‘हम हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से विनती करते हैं कि वे मराठा आरक्षण पर तुरंत फैसला लें।'' उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने अपने फैसलों को आधार देने के लिए अतीत में संविधान संशोधन किया है और मराठा समुदाय को आरक्षण देने के संबंध में भी उसे ऐसी ही तत्परता दिखानी चाहिए।
ठाकरे ने कहा कि गायकवाड आयोग की सिफारिशों के आधार पर मराठा समुदाय को आरक्षण देने का फैसला महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों ने आम सहमति से लिया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने उसे इस आधार पर रद्द कर दिया कि राज्य को ऐसा आरक्षण देने का कोई अधिकार नहीं है। ठाकरे ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत नहीं किया जा सकता है लेकिन, किसी को लोगों को भड़काने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। जब तक हम आरक्षण का मुकदमा जीत नहीं लेते, प्रयास जारी रहेगा।'' महाराष्ट्र सरकार के मंत्री अशोक चव्हाण ने 2018 में बिना ‘‘अधिकार'' के मराठा आरक्षण पारित करने को लेकर भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की आलोचना की।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने अटॉर्नी जनरल और राज्य सरकार के वकीलों के बीच उच्चतम न्यायालय में बैठक का अनुरोध किया था, लेकिन इससे इंकार कर दिया गया। मराठा आरक्षण पर उप-समिति के प्रमुख कांग्रेस नेता चव्हाण ने दावा किया कि केन्द्रीय कानून मंत्री (रवि शंकर प्रसाद) ने आरक्षण मामले पर चर्चा के लिए ठाकरे के साथ वर्चुअल बैठक से इंकार कर दिया। महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के एक अन्य मंत्री और राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, ‘‘मराठा आरक्षण का मुद्दा अब केन्द्र के पाले में है। राज्य सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के पक्ष में सिफारिश सौंपने के लिए तैयार है।''
 

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