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पुराना नंबर डाल सकता है गोपनीयता को जो‎‎खिम में -निजी जानकारी का लिया जा सकता है एक्सेस

पुराना नंबर डाल सकता है गोपनीयता को जो‎‎खिम में -निजी जानकारी का लिया जा सकता है एक्सेस


नई दिल्ली । क्या कभी आपने सोचा है कि जब आप एक नया फोन नंबर लेते हैं तो आपके पुराने फोन नंबर का क्या होता है? मोबाइल कंपनियां अक्सर पुराने नंबर्स को रिसाइकल कर देती हैं और नए यूजर को असाइन कर देती हैं। टेलिकॉम कंपनियां ऐसा इसलिए करती हैं जिससे नंबर की तादाद न बढ़ जाए। लेकिन यह प्रक्रिया उन यूजर्स के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं होती है जिनके नंबर को रिसाइकल किया जा रहा हो। जब आपका पुराना नंबर नए यूजर को मिलता है तो पुराने नंबर से जुड़ा डाटा भी नए यूजर्स के लिए एक्सेस करना आसान हो जाता है। यह यूजर्स की गोपनियता और सिक्योरिटी को जोखिम में डाल सकता है।प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की नई फाइंडिंग्स के अनुसार, रीसाइक्लिंग नंबर यूजर्स की सुरक्षा और गोपनीयता को जोखिम में डाल सकती है। 
रिसाइकल्ड नंबर्स के द्वारा नए यूजर्स, पुराने यूजर्स के नंबर की जानकारी को एक्सेस कर सकते हैं। जब आप अपना नंबर बदलते हैं तो आप तुरंत सभी डिजिटल अकाउंट्स में अपना नया नंबर अपडेट करना भूल जाते हैं। उदाहरण के लिए ऐसा संभव है कि आप अभी भी किसी ई-कॉमर्स ऐप में अपने पुराने नंबर का ही इस्तेमाल कर रहे हों। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट से पता चला है कि नया नंबर मिलने के बाद एक पत्रकार को ब्लड टेस्ट के रिजल्ट और स्पा अपॉइंटमेंट रिजर्वेशन्स के मैसेजेज आने शुरू हो गए थे। एक रिसर्चर अरविंद नारायणन ने रिपोर्ट में बताया गया, "हमने एक हफ्ते के लिए 200 रिसाइकल नंबर्स लिए और पाया कि उनमें से 19 अभी भी पुराने यूजर की सिक्योरिटी/प्राइवेसी सेंसिटिव कॉल्स और मैसेजेज प्राप्त कर रहे हैं। इसमें ऑथेंटिकेशन पासकोड, प्रीसक्रिप्शन रीफिल रिमाइंडर आदि शामिल थे। जिन यूजर्स को अनजाने में रिसाइकल नंबर दिया गया है उन्हें संवेदनशील मैसेजेज या जानकारी प्राप्त हो सकती है।"
रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्चर्स ने 8 संभावित खतरों की एक सूची तैयार की है जो नंबर रीसाइक्लिंग के कारण हो सकते हैं। मुख्य खतरों में से एक यह है कि अगर, जिसके पास यह नंबर पहले था उस पर फिंशिंग अटैक हुए हैं तो जिसे रिसाइकल कर यह नंबर दोबारा दिया जा रहा है उसके साथ भी एसएमएस के जरिए फिशिंग अटैक हो सकते हैं। जब संदेश विश्वसनीय लगते हैं तो यूजर्स फिशिंग अटैक में फंस जाते हैं। अटैकर्स इन नंबर्स का इस्तेमाल विभिन्न अलर्ट, समाचार पत्र, अभियान और रोबोकॉल के लिए साइन अप करने के लिए भी कर सकते हैं। अटैकर रिसाइकल नंबर का इस्तेमाल एसएमएस-प्रमाणित पासवर्ड रीसेट के लिए भी कर सकता है। प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने अमेरिका स्थित वेरिजोन और टी-मोबाइल समेत टेलिकॉम कंपनियों से बात की लेकिन इन कंपनियों ने संभावित हमलों को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया है। रिपोर्ट में बताया गया है, "हमने दो सबसे बड़ी अमेरिकी टेलिकॉम कंपनी वेरिजोन और टी-मोबाइल के एक-एक प्रीपेड अकाउंट के लिए साइन अप किया है। 
 

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