2019 में प्रचंड जीत के बाद आज दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक है। सुबह 9 बजे तके जहां एनडी 348 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी थी वहीं यूपीए के खाते में 87 सीटें बताई जा रही थीं। चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़े के अनुसार भाजपा के ने 296 सीटों पर जीत दर्ज की थी और 7 सीटों पर आगे चल रही थी वहीं कांग्रेस के खाते में महज 52 सीटें आईं थीं। इस बीच खबर है कि नतीजों के बाद अब नई सरकार की गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। खबरों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी 30 मई को शपथ ग्रहण कर सकते हैं। यह शपथ ग्रहण पिछली बार की तरह शाम 4 से 5 बजे के बीच ही होगा। इससे पहले प्रधानमंत्री 28 मई को काशी जा सकते हैं और वहां एक सभा को संबोधित कर सकते हैं। वहीं गुजरात जाकर अपनी मां हीरा बा से भी मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल यह साफ नहीं है कि पिछली बार की तरह इस बार दुनिया के देशों से नेताओं का शपथ ग्रहण में हिस्सा लेने के लिए बुलाया जाए।
कैबिनेट के प्रस्ताव के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 16वीं लोकसभा भंग होने को मंजूरी देंगे। लोकसभा का कार्यकाल 3 जून को खत्म हो रहा है। इसके बाद 17वीं लोकसभा का गठन किया जाएगा। इसके गठन के लिए तीन चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे और नवनिर्वचित उम्मीदवार की लिस्ट सौपेंगे। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे।
भाजपा की ट्रिपल सेंचुरी
गुरुवार 23 मई का दिन भारतीय राजनीति के इतिहास और खासकर भाजपा के लिए एक स्वर्णिम अध्याय लेकर आया। पीएम नरेंद्र मोदी के विराट व्यक्तित्व, कृतित्व और आक्रामक प्रचार शैली के दम पर भाजपा ने 48 साल बाद इंदिरा गांधी का कीर्तिमान तोड़ दिया। अदृश्य मोदी लहर पर सवार भाजपा ने लगातार दूसरी बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया। पार्टी ने सहयोगियों के साथ मिलकर 348 सीटों पर बढ़त/जीत हासिल कर ली। कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को करारी पराजय का सामना करना पड़ा।
17 राज्यों में खाता नहीं खोल सकी कांग्रेस
चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दमन-दीव, गुजरात, हरियाणा, लक्षद्वीप, सिक्किम, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा सहित तकरीबन डेढ़ दर्जन राज्यों में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला। इसी तरह मप्र में सत्ताधारी दल होने के बावजूद कांग्रेस 29 लोक सभा सीटों में से मात्र एक सीट जीतने की स्थिति में थी। कर्नाटक में गठबंधन सरकार होने के बावजूद वहां भी जद-एस और कांग्रेस का लगभग सफाया हो गया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार होने के बावजूद देश की राजधानी से उसका सफाया हो गया है।