दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जादू बेअसर रहा। लोकसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि मोदी मैजिक के आगे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की रणनीति धरी की धरी रह गई। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद भी दिल्ली में राजनीतिक स्थिति साफ होने में लगभग डेढ़ महीने लग गए। कांग्रेस और ‘आप' के बीच गठबंधन को लेकर कवायद लंबी चली, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। नामांकन के अंतिम दिन जाकर यह तय हुआ कि दिल्ली में मुकाबला त्रिकोणीय होने जा रहा है। इसके बाद प्रचार के लिए प्रत्याशियों के पास लगभग दो हफ्ते का समय ही बचा। इसके चलते सारे प्रत्याशियों ने इसमें अपना पूरा जोर झोंक दिया।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से प्रत्याशी शीला दीक्षित और दक्षिणी से प्रत्याशी मुक्केबाज विजेन्द्र सिंह के समर्थन में रोड शो किया। उनके रोड शो में लोगों की भारी भीड़ जुटी। इससे कांग्रेस में उत्साह का संचार हुआ। जबकि, राहुल गांधी ने भी शीला दीक्षित और पूर्वी दिल्ली सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अरविंदर सिंह लवली के समर्थन में जनसभा की। राहुल की जनसभाओं को भी सफल माना जा रहा था। वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी प्रत्याशियों को जिताने के लिए अलग-अलग जगहों पर रोड शो किए। लेकिन, कांग्रेस और ‘आप' की चुनावी रणनीति काम नहीं आई। नतीजे बताते हैं कि मोदी और शाह की जोड़ी के आगे प्रियंका, राहुल और केजरीवाल का जादू नहीं चला।इनके राजनीतिक कार्यक्रमों में लोगों की भीड़ भले ही आई हो, लेकिन इसे मत में तब्दील नहीं किया जा सका। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रोहिणी में जनसभा को संबोधित किया था, जबकि मोदी ने रामलीला मैदान में जनसभा को संबोधित किया था।
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राहुल-प्रियंका और केजरीवाल का जादू रहा बेअसर