प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी पर बनी बॉयोपिक रिलीज हो चुकी है। फिल्म के निर्माताओं ने इलेक्शन कमिशन के रिजल्ट आने के पहले ही मोदी के दोबारा वापिस आने की घोषणा कर दी थी जो कि पोस्टर्स पर भी साफ नजर आती है। फिल्म की कहानी 2014 के शपथ ग्रहण समारोह से शुरू होती है और फ्लैशबैक में उनके बचपन से लेकर चाय की दुकान पर चर्चा, हिमालय यात्रा और संघ के प्रचारक के रूप में कार्यकाल, गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर उनका कार्य काल, गोधरा कांड और राजनीति के शिखर पर पहुंचने कि उनकी यात्रा। इसी को लेकर मेरी कॉम जैसी फिल्म बना चुके निर्देशक उमंग कुमार ने यह फिल्म बनाई है। अगर हम फिल्म देखते हुए यह भूल जाएं कि यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित फिल्म है जिन्हें आप नहीं जानते। न ही आप उनके जीवन की कोई मीमांसा कर सकते हैं, फिल्म को अगर सिर्फ फिल्म के नजरिए से देखा जाए तो निश्चित ही फिल्म आप को बांधे रखती है। फिल्म का कुछ हिस्सा डॉक्यूमेंट्री की तरह जरूर हो जाता है मगर फिर भी छोटे से बच्चे की यात्रा में आप सहभागी बन जाते हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट पर और काम किया जाता तो इसका स्तर कुछ अलग ही होता।अभिनय की बात करें तो विवेक ओबेरॉय मोदी की नकल ना करते हुए भी मोदी लगने में सफल हुए हैं। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के किरदार में मोहन जोशी ने भी अच्छा परफॉर्मेंस दिया है। जरीना वहाब और राजेंद्र गुप्ता जैसे वरिष्ठ कलाकार स्क्रीन की शोभा को दोगुना कर देते हैं। तकनीकी रूप से फिल्म की सिनेमैटोग्राफी कमाल की है। एडिटिंग पर थोड़ा और काम किया जाता तो बेहतर होता। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर उम्दा है जिसके कारण फिल्म आप को बांधे रखती है।कुल मिलाकर अगर आप पीएम मोदी की जिंदगी और जीवन में आए उतार-चढ़ाव के बारे में जानना चाहते हैं तो यह फिल्म आप देखने जा सकते हैं।