मुंबई । महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा है कि उनके दफ्तर का सोशल मीडिया संभालने के लिए किसी बाहरी एजेंसी को नियुक्त करने की कोई जरूरत नहीं है और इस बाबत सरकार के आदेश को रद्द करने के लिए निर्देश जारी किए थे। राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने जन-उन्मुख निर्णयों, पहलों, नीतियों और उपमुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के बारे में विभिन्न सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से लोगों को जानकारी प्रसारित करने के लिए एक बाहरी एजेंसी की नियुक्ति के लिए बुधवार को आदेश जारी किया था। सरकार ने 2021-22 में इसके लिए 5.98 करोड़ रुपये का व्यय तय किया था।
इसके बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार की आलोचना करते हुए भाजपा विधायक अतुल भटखलकर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अजीत पवार के जनसंपर्क की कवायद के वास्ते लिए गए फैसले को रद्द करने की मांग की। भटखलकर ने एक वीडियो संदेश में कहा, “ऐसी खबरें हैं कि उनके जनसंपर्क कवायद पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाएंगे। इस तरह के खर्च को रद्द किया जाना चाहिए और मामले की पूरी जांच होनी चाहिए।” भाजपा ने राकांपा प्रमुख शरद पवार पर बिना नाम लिए तंज कसा। उन्होंने कहा, “उनके उपचार के बाद, उपमुख्यमंत्री के चाचा (शरद पवार) ने किसानों का पक्ष लेने के बजाय, रेस्तरां और बार संचालकों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है। डॉक्टरों और नर्सों को भुगतान करने की बात आने पर राज्य सरकार कोष की कमी का हवाला देती है, लेकिन उसके पास पीआर (जन संपर्क) एजेंसी को रखने के लिए पैसे हैं।”
इस मुद्दे पर भाजपा पर पलटवार करते हुए राज्य में मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि जो लोग छह करोड़ रुपये के कथित खर्च पर उंगली उठा रहे हैं, उन्हें पूर्व में मुख्यमंत्री और मंत्रियों की जनसंपर्क गतिविधियों पर खर्च की गई राशि पर ध्यान देना चाहिए।
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दफ्तर का सोशल मीडिया संभालने के लिए किसी बाहरी एजेंसी को नियुक्त करने का फैसला रद्द किया पवार ने