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पश्चिम बंगाल में इतनी हिंसा नहीं होती तो भाजपा और सीटें जीतती : विजयवर्गीय

पश्चिम बंगाल में इतनी हिंसा नहीं होती तो भाजपा और सीटें जीतती : विजयवर्गीय

लोकसभा चुनाव में जिन नए क्षेत्रों में भाजपा ने शानदार बढ़त हासिल की है, उनमें पश्चिम बंगाल सबसे महत्वपूर्ण है। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के अभेद्य किले को ध्वस्त करने के अभियान का नेतृत्व करने वाले भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा चार साल पहले जब अमित शाह ने यह जिम्मेदारी मुझे सौंपी तो मुझे लगा कि यह 10-15 साल का एजेंडा है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की बेहतरीन रणनीति के सहारे हमने चार सालों में ममता के मंसूबों को ध्वस्त कर दिया। 
भाजपा महासचिव विजयवर्गीय ने कहा कि पश्चिम बंगाल में अराजकता की स्थिति है। इसके लिए दीदी का अहंकार जिम्मेदार है। दुर्भाग्य की बात है कि बंगाल में राजनीति और हिंसा एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। तीन दशक से यह चल रहा है। सीपीएम की हिंसा से आजिज लोग दीदी को लाए थे। लेकिन हिंसा कम होने की बजाय बढ़ गई। लोगों को अब अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा है। लोग शांति चाहते हैं, इसलिए शांति पसंद मतदाता भाजपा की तरफ आ गया है। 
पूरे चुनाव के दौरान राज्य में गुंडातंत्र हावी रहा जो सरकार द्वारा प्रायोजित था। चुनाव आयोग उन्हें रोक पाने में सफल रहता तो भाजपा कम से कम तीस सीटें जीतती। चुनाव में दीदी के इशारे पर वैध एवं अवैध हथियारों का खुलकर इस्तेमाल किया गया। पुलिस ने भी उपद्रवियों की जमकर सहायता की। इसलिए वजह रही कि भाजपा की सीटें कम हो गईं। पश्चिम बंगाल में हिंसा और अराजकता को  समझने के लिए यह जानना काफी है कि पिछले चार सालों में हमारे 102 कार्यकर्ता मारे गए हैं। 
उन्होंने कहा राज्य में हिसा का दौर अब भी जारी है। हम केंद्र से अनुरोध करेंगे कि अगले कुछ दिनों तक वहां केंद्रीय बलों की तैनाती जारी रखी जाए। हमारे कार्यकर्ता मजबूती के साथ खड़े हैं। हम उनकी संख्या बढ़ाएंगे। हमें उम्मीद है कि शांतिप्रिय लोग हमारे दल की विचारधारा से क्रमश: जुड़ते जाएंगे। 
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा ममता दीदी यहां वोटों के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती हैं। घुसपैठियों को अंदर प्रवेश कराकर उनके मतदाता कार्ड बनाकर उन्हें शासन प्रदत्त सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। जो दो रुपए किलो चावल बंगाल की जनता को मिलना चाहिए वह घुसपैठियों को मिल रहा है। राज्य में दो करोड़ ऐसी आबादी है, जो पहले माकपा का वोट बैंक था लेकिन अब दीदी का हो गया है। वहां मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मौलवियों को वेतन दिया जा रहा है, लेकिन पुजारियों को नहीं। हम इसके खिलाफ लड़ रहे हैं। इस वजह से भी लोग हमारे साथ आ रहे हैं।

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