नई दिल्ली । भारत में कोरोना के बढ़ते संकट के बीच अस्पतालों पर काफी दबाव बढ़ा है। देश में ऑक्सीजन सिलेंडर और जरूरी दवाओं की किल्लत के बीच बड़ी संख्या में लोगोँ की मौतें हुई हैं। इस बीच एक ग्लोबल रिसर्च फर्म ने कहा है कि भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर का पीक आने वाला है, लेकिन इस दौरान देश में मानवीय संपदा का भारी नुकसान हुआ है। देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया था। इससे लोगों की आवाजाही पर असर पड़ा है और मई में आर्थिक गतिविधियों को इस वजह से बड़ी चोट लग सकती है। अर्थशास्त्री सोनल वर्मा और प्रदीप नंदी ने कहा कि कोरोनावायरस संकट के दूसरे वेब की वजह से भारत को मानवीय संपदा के रूप में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। चालू तिमाही में देश में राज्यों के स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में कमजोरी देखी जा सकती है, लेकिन कुल जीडीपी पर इसका असर नाम मात्र का रह सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू कैलेंडर वर्ष की दूसरी तिमाही में पिछले साल की तुलना में कोरोना संक्रमण का जीडीपी पर असर कम रह सकता है। वास्तव में लोगों की आवाजाही बाधित होने की वजह से आर्थिक गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही थी। इस बार पूरे देश में एक जैसा लॉकडाउन नहीं है और ग्राहकों-कारोबारियों ने इस संकट के बीच कामकाज करने का तरीका ढूंढ लिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस तरह के मामले देखे जा रहे हैं। नोमूरा की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि तिमाही दर तिमाही आधार पर जीडीपी में 3.8 फीसदी की कमजोरी आ सकती है। कोरोनावायरस संकट के पहले चरण में पिछले साल की इसी अवधि में जीडीपी में 24.6 फीसदी की कमजोरी देखी गई थी। अगर जीडीपी ग्रोथ के सालाना अनुमान की बात करें तो साल 2021 में इसके 9.8 फ़ीसदी और वित्त वर्ष 2022 में 10.8 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया है।
ग्लोबल रिसर्च फर्म का अनुमान है कि जून से महाराष्ट्र जैसे राज्यों में प्रतिबंध में ढील दी जा सकती है। अन्य राज्यों के लिए यह जून के मध्य से शुरू हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार जून में उस तरह के सेक्टर में प्रतिबंध में ढील दे सकती है, जहां लोगों के संपर्क की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है। होटल, रेस्तरां, सिनेमा हॉल जैसे कारोबार में प्रतिबंधों में ढील मिलने में अभी समय लग सकता है। कोरोना संकट का सबसे अधिक असर मई में देखा जा सकता है। जून में आर्थिक गतिविधियां तुलनात्मक रूप से बेहतर रह सकती हैं।
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मई में दिखेगा कोरोना का ज्यादा असर, जून में तुलनात्मक रूप से बेहतर रह सकती हैं आर्थिक गतिविधियां -ग्लोबल रिसर्च फर्म ने अपनी रिपोर्ट में जताया अनुमान