कलकत्ता । कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि नारदा स्टिंग केस में बंगाल कैबिनेट के दो मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी तथा दो पूर्व मंत्री मदन मित्रा और सोवन चटर्जी को फिलहाल नजरबंद रखा जाएगा। वहीं, चारों की बेल याचिका पर कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच फैसला देगी। कोर्ट ने यह आदेश मामले की सुनवाई कर रहे दो जजों की पीठ के विचारों में भेद के बाद दिया है। जहां, एक ओर कलकत्ता हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने नेताओं को नजरबंद रखे जाने का आदेश दिया तो वहीं जस्टिस अरिजीत बनर्जी ने चारों को जमानत दिए जाने का आदेश दिया। जस्टिस बनर्जी ने कहा, 'पीठ के एक सदस्य को लगा कि बेल दे दी जानी चाहिए लेकिन दूसरा इसपर सहमत नहीं था। इसलिए जमानत को लेकर बड़ी बेंच फैसला करेगी। इस बीच, महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेताओं को नजरबंद रखे जाने के लिए मंजूरी दी जाती है।' सीबीआई और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस दोनों ने ही नजरबंद रखे जाने के आदेश का विरोध किया। सीबीआई की ओर से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अपने आदेश पर स्टे लगाने को कहा। वहीं, टीएमसी नेताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि नजरबंद रखा जाना भी गिरफ्तारी से कम नहीं है। उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए। चारों टीएमसी नेताओं को इसी हफ्ते सोमवार को हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद सीबीआई दफ्तर में धरने पर बैठ गईं थीं।
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नारद स्टिंग केस में गिरफ्तार हुए टीएमसी के चारों नेताओं को नहीं मिली जमानत