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सिसोदिया ने शिक्षा मंत्रालय की मीटिंग से पूर्व दिल्ली के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के अध्यापकों से 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन पर मांगे सुझाव

सिसोदिया ने शिक्षा मंत्रालय की मीटिंग से पूर्व दिल्ली के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के अध्यापकों से 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के आयोजन पर मांगे सुझाव

नई दिल्ली । दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने डिजिटल  माध्यम से रविवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रलाय द्वारा बोर्ड परीक्षाओं को लेकर होने वाली बैठक से पूर्व ,12वीं की बोर्ड परीक्षा के आयोजन को लेकर दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के प्रधानाचार्य, शिक्षकों के साथ महत्वपूर्ण मीटिंग की। उपमुख्यमंत्री ने इसके बाद परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों से इंस्टाग्राम लाइव पर भी बात की और परीक्षा को लेकर सुझाव मांगे। मीटिंग के दौरान सभी अध्यापकों और प्रधानाचार्यों के बीच ये आप सहमति बनी की वैक्सीनेशन के बिना बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन करवाना अध्यापकों और विद्यार्थियों को खतरे में डालना है। अध्यापकों ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि परीक्षा को लेकर अब निर्णय लेने का समय आ गया है कि बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन नहीं होना चाहिए। इंस्टाग्राम लाइव पर भी विद्यार्थियों ने उपमुख्यमंत्री से बोर्ड परीक्षाओं को कैंसिल करने की मांग की। कोरोना के दूसरे लहर ने लाखों परिवारों को प्रभावित किया है इसके बाद कोरोना के नए वेरिएंट और ब्लैक फंगस जैसी बीमारियां फैल रही है यदि इसके बावजूद बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है तो परीक्षा केंद्र इन बीमारियों के सुपर स्प्रेडर बन सकते है।
इसके अलावा, लगभग सभी परिवारों को किसी न किसी रूप में कोरोना से जूझना पड़ा है और इस स्थिति में किसी भी प्रकार की परीक्षा लेना पहले से ही मौजूद चुनौतियों को बढ़ाना होगा। इसलिए, देश भर में कई छात्रों और अभिभावकों की भावनाओं को व्यक्त करते हुए, सभी स्टेकहोल्डर्स की राय थी कि संकट के इस समय में विद्यार्थियों की सुरक्षा परीक्षा से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। शिक्षकों और प्रिंसिपलों ने भी छात्रों के सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द छात्रों का टीकाकरण कराने के महत्व पर जोर दिया। स्कूलों ने यही सुझाव दिया कि सीबीएसई द्वारा आयोजित की जाने वाली 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को विद्यार्थियों के सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए आयोजित न करवाई जाए और उनका मूल्यांकन पूरे साल द्वारा यूनिट टेस्ट, प्री-बोर्ड परीक्षाओं, प्रैक्टिकल, आवधिक परीक्षाओं में किए गए उनके प्रदर्शन के आधार पर हो जैसा कक्षा 10वीं के मूल्यांकन के लिए किया है। साथ ही विद्यार्थियों को ये सुविधा भी दी जाए कि यदि वो अपने रिजल्ट से संतुष्ट नहीं है तो आगे इम्प्रूवमेंट के लिए कुछ समय बाद परीक्षा दे सकते है। अध्यापकों ने ये बात भी रखी कि विद्यार्थी पिछले 12-15 सालों से स्कूल सिस्टम में है उसके बावजूद केवल 12वीं की परीक्षा के आधार पर उनका मूल्यांकन करने कितना वाज़िब होगा। बैठक में उपस्थित प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों ने भी बोर्ड से शिक्षकों पर भरोसा करने और वैकल्पिक परीक्षा के लिए उनके सुझावों पर विचार करने का अनुरोध किया। शिक्षकों ने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं के बारे में निर्णय अब बिना किसी देरी के लिए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यह छात्रों की चिंता को बढ़ा रहा है। उपमुख्यमंत्री ने इंस्टाग्राम लाइव के माध्यम से विद्यार्थियों से चर्चा की। जिसमें विद्यार्थियों उपमुख्यमंत्री के सामने ये बात रखी की या तो वैक्सीन उपलब्ध करवा कर उन्हें बोर्ड परीक्षाओं के लिए बुलाया जाए अन्यथा उनकी सुरक्षा को ताक पर रखकर बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन न किया जाए। विद्यार्थियों ने ये भी बोला कि वे मानसिक रूप से परीक्षाओं के लिए तैयार नहीं है।
गौरतलब है कि रविवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल द्वारा बुलाई गई राष्ट्रीय स्तर की बैठक से पूर्व  उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के साथ उनकी राय लेने के लिए प्री-मीटिंग कंसल्टेशन आयोजित किया गया था, जिसमें उन दो विकल्पों के बारे में चर्चा की गई थी, जिन पर भारत सरकार कक्षा 12 के बोर्ड परीक्षाओं बारे में विचार कर रही है।
 

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