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24 मई से बिक्री के लिए खुलेगी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की दूसरी किस्त, रिटर्न की गारंटी  

24 मई से बिक्री के लिए खुलेगी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की दूसरी किस्त, रिटर्न की गारंटी  

नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने एक बार फिर आपको सस्ता सोना खरीदने का मौका उपलब्ध कराया है। कारोबारी साल 2021-22 की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की दूसरी किस्त 24 मई से बिक्री के लिए खुलने जा रही है। जबकि पहली किस्त 21 मई को ही समाप्त हुई है। यानी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की दूसरी किस्त में निवेशक 24 मई से 28 मई के बीच निवेश कर पाएंगे। 
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की इस दूसरी किस्त में सोने का भाव 4,842 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के लिए ऑनलाइन या डिजिटल तरीके से पेमेंट करने वालों को बॉन्ड के दाम में 50 रुपये प्रति ग्राम की अतिरिक्त छूट मिलेगी। इससे पहले पहली किस्त में 17 से 21 मई के बीच गोल्ड बॉन्ड की कीमत 4,777 रुपये प्रति ग्राम थी
साल 2015 से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश का विकल्प आया है। यह आरबीआई जारी करता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम एक ग्राम सोने की खरीदारी की जा सकती है। निवेशकों को ऑनलाइन या कैश से इसे खरीदना होता है और उसके बराबर मूल्य का सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड उन्हें जारी कर दिया जाता है। इसकी मैच्योरिटी पीरियड आठ साल की होती है, लेकिन पांच साल के बाद इसमें बाहर निकलने का विकल्प भी है। फिजिकली सोने की खरीदारी कम करने के लिए यह स्कीम लॉन्च की गई है। 
अगर फायदे की बात करें तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज भी मिलता है। गोल्ड बॉन्ड में न्यूनतम एक ग्राम सोना का निवेश किया जा सकता है और आम आदमी के लिए अधिकतम निवेश की सीमा चार किलोग्राम है, जबकि हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के लिए चार किलोग्राम और ट्रस्ट के लिए यह सीमा 20 किलोग्राम है। पिछले कुछ सालों में लोगों का रुझान सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में तेजी से बढ़ा है।  
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का मकसद भौतिक रूप से सोने की मांगों में कमी लाना है, यानी लोग ज्वेलरी के बदले गोल्ड बॉन्ड खरीदें। फिजिकल गोल्ड की बजाए गोल्ड बॉन्ड को मैनेज करना आसान और सेफ होता है। सरकारी गोल्‍ड बॉन्ड की कीमत बाजार में चल रहे सोने की रेट से कम होती है।
गोल्ड बॉन्ड में किसी तरह की धोखाधड़ी और अशुद्धता की संभावना नहीं होती है। ये बॉन्ड 8 साल के बाद मैच्योर होंगे। मतलब साफ है कि 8 साल के बाद भुनाकर इससे पैसा निकाला जा सकता है। यहीं नहीं, पांच साल के बाद इससे बाहर निकलने का विकल्प भी होता है। 
 

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