आओ, बच्चो! तुमको मैं भारत की बात बताता हूँ।
बहती है गंगा-यमुना, मैं गीत वहाँ के गाता हूँ।।
पर्वतराज हिमालय जिसके हर संकट को हरता है।
तीन ओर का सागर, जिसकी चरण-वंदना करता है।।
बच्चो जानो, भारत माँ को, जिसका कण-कण सुंदर है।
शस्य श्यामला मातृभूमि है, पर्वत-नदियां अंदर है।।
ताल-तलैया, मैदानों की, आभा बहुत लुभाती है।
मेरे बच्चो! दुर्ग-महल में, इतिहासों की थाती है।।
लक्ष्मी बाई, वीर शिवा से,दमकी नित्य जवानी है।
महाराणा ने चेतक के सँग, रच दी नवल कहानी है।।
दीवाली, होली की आभा, ईद खुशी को लाती है।
भारत को बच्चो! जानो तुम, जिसकी हवा सुहाती है।।
पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, सभी ओर हरियाली है।
हर मुखड़े पर हर्ष दिख रहा, सभी ओर खुशहाली है।।
बच्चो! जानो मातृभूमि को, जो हम सबकी माता है।
भारत माता की जय बोलो, तो मस्तक उठ जाता है।।
(लेखक-प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे )