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पूर्व खिलाड़ियों को कोच बनाने के लिये कोई कार्यक्रम होना चाहिए : गोपीचंद दूसरी श्रेणी के विदेशी कोच दूसरी श्रेणी के खिलाड़ी ही तैयार करेंगे 

पूर्व खिलाड़ियों को कोच बनाने के लिये कोई कार्यक्रम होना चाहिए : गोपीचंद दूसरी श्रेणी के विदेशी कोच दूसरी श्रेणी के खिलाड़ी ही तैयार करेंगे 

हैदराबाद । राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा है कि हमें चैम्पियन बनाने वाले शीर्ष स्तर के कोच की जरुरत है। गोपीचंद का मानना है कि विदेशी और भारतीय प्रशिक्षकों का अच्छा मि​श्रण देश में खेल व्यवस्था के विकास के लिये जरुर है पर दूसरी श्रेणी के विदेशी कोच केवल दूसरी श्रेणी के खिलाड़ी तैयार करेंगे, इसलिए हमें शीर्ष स्तर के घरेलू कोच ही बनाने चाहिये और इसके लिए एक कार्यक्रम तैयार होना चाहिये। 
गोपीचंद ने कहा, खेलों में जब हमारे पास विशेषज्ञता नहीं होती है तब शुरू में कुछ समय के लिये पूर्णकालिक विदेशी सहयोगी टीम में रखना अच्छा है पर यदि हम निरंतर उन्हें बनाये रखते हैं तो फिर हम अपनी व्यवस्था के साथ न्याय नहीं कर पायेगे। उन्होंने कहा, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम उनसे सीखें। हमें धीरे धीरे उनसे दूरी बढ़ानी होगी क्योंकि वे हमेशा दूसरी श्रेणी के खिलाड़ी ही तैयार कर पाएंगे, सर्वश्रेष्ठ नहीं। ऑल इंग्लैंड चैम्पियन रहे गोपीचंद ने कहा कि पूर्व खिलाड़ियों को कोच बनाने के लिये कोई कार्यक्रम होना चाहिए। उन्होंने कहा, हम कभी सर्वश्रेष्ठ विदेशी कोच की सेवाएं प्राप्त नहीं कर पाएंगे। हमें हमेशा दूसरा सर्वश्रेष्ठ कोच ही मिलेगा, वहीं एक भारतीय कोच निश्चित तौर पर चाहेगा कि भारत जीते बजाय जबकि विदेशी कोच का ध्यान अगले अनुबंध पर रहेगा
गोपीचंद ने कहा, इसलिए जिन खेलों में हम लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और जिनमें हम अच्छे खिलाड़ी तैयार कर रहे हैं, उनमें ऐसे कार्यक्रम का होना महत्वपूर्ण है जिसमें खिलाड़ियों को कोच बनाया जा सके। वहीं खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों की मानसिकता रहती है कि उन्हें पदक जीतने के लिये विदेशी प्रशिक्षकों की जरूरत है। उन्होंने कहा, जब भी मैं खिलाड़ियों से मिलता हूं वे मुझसे कहते है।, हमें पदक जीतने के लिये विदेशी कोच की जरूरत है। इसका मतलब यह नहीं है कि वे भारतीय प्रशिक्षकों में भरोसा नहीं रखते, लेकिन उन्हें यह लगता है कि वे विदेशी कोच के होने से ही पदक जीत सकते हैं। खेल मंत्री ने देश में अपनायी जा रही अस्थायी कोचिंग प्रणाली को भी बदलने की अपील की। उन्होंने कहा, भारत में हमारा कोचिंग के प्रति पेशेवर नजरिया नहीं है। अभी तक तात्कालिक खेल प्रतियोगिताओं को देखते हुए अस्थायी व्यवस्था की जाती रही है। 
 

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