मुंबई, । मुंबई से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित माथेरान देश का प्रसिद्ध हिल स्टेशन कहलाता है. यहां परिवहन का एकमात्र साधन घोड़े हैं. इन घोड़ों और उनके मालिकों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है. दरअसल करीब 30 हजार जनसंख्या वाले माथेरान की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है. यहां के वाहन सिर्फ घोड़े हैं, 50 प्रतिशत परिवारों की आय इन घोड़ों पर ही निर्भर है. कोविड के चलते माथेरान के लोगों की आमदनी महीनों से बंद है. ऐसी मुश्किल घड़ी में घोड़ों को जिंदा रखना इनके मालिकों के लिए बड़ी चुनौती है. माथेरान के एक निवासी ने कहा कि, ''मैं अकेला ही हूं, दूसरा काम करने वाला कोई नहीं है, पूरी आमदनी रुक गयी है, माथेरान का वाहन ये घोड़े ही हैं, रिक्शा खड़ी रही तो ऑटो ड्राइवर को रिक्शे पर खर्च नहीं करना पड़ेगा. लेकिन हमें इन घोड़ों को रोज खिलाना पड़ता ही है, इनपर एक दिन में ढाई सौ रुपय का खर्च आता है''. जब मुंबई की दो बहनें 15 साल की रिदा और 12 साल की दानिया को माथेरान के घोड़ों और उनके मालिकों की तकलीफ का पता चला तब दोनों बहनें उनको बचाने में जुट गई है. ये दो बहनें सोशल मीडिया के जरिए क्राउडफंडिंग शुरू की है. इस क्रम में अभी तक 3 लाख रुपय इकट्ठा हो चुके हैं. बहनों द्वारा राशन और चारे जैसी तमाम मदद माथेरन पहुंचायी जा रही है. रिदा खान ने कहा, ''माथेरान के घोड़ों की पीड़ा के बारे में मुझे जानकारी स्कूल से मिली, प्रिन्सिपल और टीचर ने न्यूज़ अर्टीकल शेयर किया जिसमें हमने ये पढ़ा था, मैं और मेरी बहनों ने जब ये पढ़ा तो हम बेहद प्रभावित हुए और तब जाकर हमने ये क्राउडफ़ंडिंग शुरू की.''
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मुंबई की दो बहनों ने उठाई माथेरान के घोड़ों को बचाने की मुहिम