विश्व में देवभूमि के नाम से विख्यात हिमाचल में इंसानियत और मानवता की एक साथ मौत हो गई।यह प्रलय की आहट है।समाज अब समाज नहीं रहा खुदगर्ज समाज बन गया है। कहां से आगाज करें मानवता का यह घृणित पतन कहां जाकर रुकेगा।एक दुखद व रौगंटे खड़े कर देने वाले दृश्य ने हर हिमाचली को झझकोर दिया है।सोशल मीडिया पर कांगड़ा के गांव रानीताल का एक युवक कंघे पर मां की लाश उठाने का चित्र विचलित कर रहा है।यह युवक अकेला ही मां के पार्थिव शरीर को उठाकर शमशान ले जा रहा है।चित्र को देखकर आत्मा सिहर उठी कि हिमाचल में यह सब घटित हुआ।आसूं थमते नहीं हंै।दिल जार -जार रो रहा है।हिमाचल में हुई यह घटना बहुत ही शर्मनाक है।जनता के प्रतिनिधि कहां है नता के मसीहा बनते कहां थे।यह एक सुलगता प्रशन है।गांव के प्रधान व माजसेवक बने लोग चिरनिंद्रा में सोए हुए हैं। प्रशासन को इस घटना पर ज्ञान लेना चाहिए।लाचार व गरीब लोगों की प्रशासन को सहायता करनी चाहिए। यह बहुत ही दुखद है।कैसे उस युवक ने अकेले ही मां को मुखाग्नी दी गी।कलेजा फट जाता है ऐसे प्रकरणो ंसे जो देवभूमि में पहली बार हुआ है।
इनसानियत का जनाजा निकाला जा रहा है।इस बेरहम समाज को जरा सी दया नहीं ई।आज इस गरीब पर आपदा आई कल आप भी तैयार रहो।सबक दे गई यह घटना कि आज आदमी दानव बन चुका है जिसे न तो किसी का दर्द समझा आता है और न ही किसी की असहनीय पीड़ा नजर आ रही है।समाज को यह आईना दिखा गई है यह घटना कि समाज के लिए आवाज उठाने वाले आज कहां चूहों कि तरह बिल में कैद हो गए। आज खों के हिसाब से सामाजिक संस्थाएं है मगर एक गरीब आदमी के लिए कोई अपना समय गंवाए । सामाजिक संस्थाएं तो अमीरों के लिए बनाई गई हैं। गर कोई अमीर होता तो सामाजिक संस्थएं जरुर सहायता करती ।इस घटना से यह बित हो गया कि आधुनिकता की चंकाचैध में इंसान अपनी इंसानियत खो चुका है भी तो इंसानियत आज तार-तार हो रही हैं।आज संवेदनाएं मर चुकी हैं पैसा ही र हो चुका है पैसा कमानें कें चक्क्र में आदमी इतना व्यस्त है कि उसे
खाने तक और दूसरों की सहायता तक के लिए समय नहीं है मायाजाल में अंधा हो का है। मगर इंसान नंगा आया है नंगा ही जाएगा अगर आज अच्छे कर्म करेगा पुण्य कमाएगा । आज संस्कारो का जनाजा निकलता जा रहा है ।आज आदमी ऐसे वेदनहीन लोगों को उनके कर्मो की सजा जरुर मिलेगी जिन्होने ऐसा कर्म या। लानत है ऐसे समाजसेवको पर जो ऐसे शर्मसार करने वाले कृत्य कर रहे ।वास्तव में आज की गला काट स्पर्धा व पैसा कमाने की होड़ में इंसान तना डुब चुंका है कि उसमें समाज व गरीब की सहायता करनें की भावना खत्म
होती जा रही है ।इंसान इतना स्वार्थी हो चुका है कि आखों के सामने मरते दमी को छोड़ दिया जाता है।इस घटना ने हर हिमाचली को शर्मसार किया है। इस घटना से इंसानियत की मौत हो गई है।यह एक यक्ष प्रशन है जिसका जबाब इस संवेदनहीन व्यवस्था समाज को देना होगा। इस घटना से सबक लेना चाहिए कि कल को ऐसा हादसा उनके साथ हो जाए तब क्या होगा । आज पता नहीं इंसान को क्या हो गया है कि अपनों के सिवाए उसे कोई नहीं सूझता कि किसी की सहायता करना कितना पुण्य का काम है मगर जब संवेदनाएं शून्य हो चुकी हो तो ऐसे मामले घटित होते है। ऐसे हादसों की पुनरावृति न हो सके तथा हिमाचल की साख को फिर कभी ऐसा बटटा न लग सके । अब भले ही प्रशासन जो मर्जी करे मगर रुह
कंपा देने वाले ऐसे हादसों की पुनरावृति का संकल्प लेना होगा ताकि आने वाले दिनों में किसी अन्य के साथ न हो सके। इस पर आत्ममंथन करना होगा । इंसानियत को जिदां रखना होगा । ताकि समाज में घटित इन हादसों पर विराम लग सके । इस घटना से सबक लेना होगा । समाज में सुधार की गुजांइस है। अगर समाज में इंसानियत जिन्दा रहेगी तो फिर कभी ऐसे प्रकरण नहीं होगें । हर हिमाचली को सवेदनशीलता के लिए तैयार करना होगा । सवेदनहीन व्यवस्था को सुधारना होगा ।एकजुट होकर इस पर मंथन करना होगा ।
(लेखक- नरेन्द्र भारती वरिष्ठ पत्रकार )
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हिमाचल में मानवता की मौत , संवेदनहीन समाज बेरहम लोग ?