-विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरकार के लिए हर कदम पर मुश्किलें खड़ी कर रहे
-प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार हमेशा टकराव के मूड में हैं
कोलकाता । यास तूफान का कहर भले ही थम गया है, लेकिन
राहत की राजनीति के कारण बंगाल से लेकर दिल्ली तक सियासी माहौल गरमाया हुआ है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को केंद्र सरकार पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया। पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी को राज्य से दिल्ली बुलाए जाने पर हुए उन्होंने कहा कि राज्य के सीनियर ब्यूरोक्रेट्स को कोरोना के संकट के बीच लोगों के लिए काम करने की इजाजत मिलनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह उनकी सरकार के लिए हर कदम पर मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
ममता ने कहा कि आप (मोदी और शाह) बंगाल में भाजपा की हार पचा नहीं पा रहे हैं, तो आपने पहले दिन से ही हमारे लिए समस्याएं पैदा करना शुरू कर दिया है। इसमें चीफ सेक्रेटरी का क्या दोष है? कोरोना के दौरान उन्हें राज्य से वापस बुलाना बताता है कि केंद्र सरकार राजनीतिक बदले की भावना से काम कर रही है। ममता ने यहां तक कह दिया कि पश्चिम बंगाल के विकास और तरक्की के लिए वे प्रधानमंत्री मोदी के पैर छूने को तैयार हैं।
मुझे इंतजार कराया गया
यास से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल नहीं होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री ने मेदिनीपुर के कलाईकुंडा एयरबेस पर समीक्षा बैठक बुलाई थी, लेकिन अव्वल तो ममता वहां आधे घंटे देरी से पहुंची और ऊपर से बैठक में हिस्सा लेने की बजाय उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उनको नुकसान पर सरकार की रिपोर्ट सौंपी और उनकी अनुमति लेकर वहां से निकल गईं। इस पर ममता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि एटीसी ने प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर उतरने की वजह से मुझे 20 मिनट की देरी से सागर द्वीप से कलाईकुंडा के लिए रवाना होने को कहा था। उसके बाद कलाईकुंडा में भी करीब 15 मिनट बाद हेलीकॉप्टर उतरने की अनुमति मिली। तब तक प्रधानमंत्री पहुंच गए थे। मैंने वहां जाकर उसे मुलाकात की अनुमति मांगी, लेकिन काफी इंतजार के बाद मुझे उनसे मिलने दिया गया।
- मीटिंग में विपक्ष के नेता क्यों
ममता ने कहा पहले समीक्षा बैठक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होनी थी। इसके लिए मैंने अपने दौरे में कटौती की और कलाईकुंडा जाने का कार्यक्रम बनाया। बाद में बैठक में आमंत्रित लोगों की संशोधित सूची में राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों और विपक्ष के नेता का नाम भी शामिल किया गया। इसलिए मैंने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। आखिर गुजरात और ओडिशा में तो ऐसी बैठकों में विपक्ष के नेता को नहीं बुलाया गया था।
-मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही
ममता ने कहा कि शाम को प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के दफ्तर से मुझे बदनाम करने के अभियान के तहत लगातार खबरें और बयान जारी किए गए। उसके बाद राज्य सरकार से सलाह-मशविरा किए बिना मुख्य सचिव को अचानक दिल्ली बुला लिया गया। प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार हमेशा टकराव के मूड में रही है। चुनावी नतीजों के बाद भी राज्यपाल और दूसरे नेता लगातार आक्रामक मूड में हैं। दरअसल भाजपा अपनी हार नहीं पचा पा रही है। इसलिए बदले की राजनीति के तहत यह सब कर रही है। मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाकर केंद्र सरकार तूफान राहत और कोविड के खिलाफ लड़ाई में सरकार को अशांत करना चाहती है। आखिर केंद्र को बंगाल से इतनी नाराजगी क्यों है? अगर मुझसे कोई नाराजगी है तो बंगाल के लोगों के हित में मैं प्रधानमंत्री का पांव पकड़ कर माफी मांगने के लिए तैयार हूं। केंद्र सरकार यह गंदा खेल मत खेले।
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राहत की राजनीति से बंगाल से लेकर दिल्ली तक सियासी माहौल गरमाया...ममता ने भरी हुंकार बंगाल के भले के लिए मोदी के पैर भी छू सकती हूं