नई दिल्ली । हिमाचल प्रदेश के एक किसान ने स्व-परागण करने वाली सेब की एक नई किस्म विकसित की है, जिसमें फूल आने और फल लगने के लिए लंबी अवधि तक ठंडक की जरूरत नहीं होती है। सेब की इस किस्म का प्रसार भारत के विभिन्न मैदानी, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में हो गया है, जहां गर्मी के मौसम में तापमान 40-45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। सेब के इसकी किस्म की व्यावसायिक खेती मणिपुर, जम्मू, हिमाचल प्रदेश के निचले इलाकों, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में शुरू की गई है और इसमें फल लगने का विस्तार अब तक 23 राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में हो चुका है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के पनियाला गांव के एक प्रगतिशील किसान हरिमन शर्मा, जिन्होंने सेब के इस नए किस्म - एचआरएमएन 99 को विकसित किया है, इससे न केवल इलाके के हजारों किसानों बल्कि बिलासपुर और राज्य के अन्य निचले पहाड़ी जिले-जहां के लोग पहले कभी सेब उगाने का सपना नहीं देख सकते थे - के बागवानों के लिए भी प्रेरणा के स्रोत बन गए हैं।
बचपन में ही अनाथ हो चुके, हरिमन को उनके चाचा ने गोद लिया और उनका पालन-पोषण किया। उन्होंने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की और उसके बाद खुद को खेती के लिए समर्पित कर दिया, जोकि उनकी आय का मुख्य स्रोत है। बागवानी में उनकी रुचि ने उन्हें सेब, आम, अनार, कीवी, बेर, खुबानी, आड़ू और यहां तक कि कॉफी जैसे विभिन्न फल उगाने के लिए प्रेरित किया। उनकी खेती का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि वो एक ही खेत में आम के साथ सेब भी उगा सकते हैं। उनका मानना है कि किसान हिमाचल प्रदेश की निचली घाटियों और अन्य जगहों पर भी सेब के बाग लगाना शुरू कर सकते हैं।
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हिमाचल के किसान द्वारा लो-चिलिंग की जरूरत वाली सेब की किस्म का प्रसार दूर-दूर तक हुआ