नई दिल्ली । पूंजी बाजार नियामक सेबी ने ग्लोबल डिपाजिटरी रिसीट (जीडीआर) जारी करने में हेरोफेरी के मामले में विनसम यार्न्स लिमिटेड और उसके प्रबंध निदेशक पर कुल मिलाकर 12 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना मार्च- अप्रैल 2011 के दौरान की गई जांच पर लगाया गया है। जिसमें जीडीआर जारी करने में बाजार नियमों का उल्लंघन पाया गया। सेबी के जारी आदेश में यह कहा गया है। कंपनी ने 29 मार्च 2011 में 1.32 लाख डालर (करीब 96 करोड़ रुपए) के जीडीआर जारी किए थे। जांच में पाया गया कि विंटेज एफजैडई वर्तमान में अल्टा विस्टा इंटरनेशनल एफजैडई एकमात्र कंपनी थी जिसे जीडीआर जारी किए गए। जीडीआर खरीदने के लिये विंटेज ने ईयूआरएएम बैंक से 1.32 करोड़ डालर का कर्ज लिया था। इसमें पाया गया कि विनसम ने जीडीआर से प्राप्त राशि को विंटेज एफजैडई के कर्ज के समक्ष गारंटी के तौर पर रखा था। ईयूआरएएम बैंक के साथ विनसम ने इसके लिए समझौता किया था और समझौते पर विनसम के प्रबंध निदेशक मनीष बगरोडिया ने हस्ताक्षर किए थे। कंपनी इस बारे में शेयर बाजारों को जरूरी सूचना नहीं दे पाई। कंपनी लेखा मानकों के अनुरूप अपना वित्तीय लेखा जोखा भी नहीं बना पाई। इस पूरी प्रक्रिया में विभिन्न बाजार नियमों का उल्लंघन करने पर सेबी ने विनसम यार्न्स पर 11 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया। सेबी के शुक्रवार को पारित आदेश के मुताबिक एक करोड़ रुपये का जुर्माना बगरोडिया पर लगाया गया। सेबी के पारित आदेश के मुताबिक नियामक ने पीएमसी के शेयरों में भ्रामक उपस्थिति और उसके दाम में हेराफेरी के लिये पीएमसी फिनकार्प, राज कुमार मोदी, प्रभात मैनेजमेंट सविर्सिज और आर आर पी मैनेजमेंट सविर्सिज चार इकाइयों पर 40 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। राजकुमार मोदी पीएमसी के प्रबंध निदेशक हैं।
इकॉनमी
सेबी ने विनसम, उसके एमडी पर 12 करोड़ का जुर्माना लगाया