व्यापारियों का कहना है कि सरकार प्रोसेसर्स के लिए दलहन का इंपोर्ट कोटा बढ़ा सकती है। फिलहाल घरेलू बाजार में दालों की आपूर्ति काफी कम हो गई है, जिससे खुदरा बाजार में कीमतें 100 रुपये किलो तक पहुंच गई है। व्यापारियों के मुताबिक, उड़द दाल और पीली मटर जैसी दालों के भाव में भी तेजी देखने को मिल रही है। इंडस्ट्री का कहना है कि सरकार अरहर दाल का ही लाखों टन का आयात करने की मंजूरी दे सकती है। अभी अरहर यानी तूर दाल का मौजूदा इंपोर्ट कोटा 2 लाख टन तक का है। बाजार में दो साल से ज्यादा लंबे समय के बाद तूर की कीमतों में तेजी का रुख है। हमें लगता है कि दलहन की खेती वाले इलाकों में मॉनसून अनियमित रहा है। इन स्थिति के बाद सरकार तूर और अन्य दालों का इंपोर्ट कोटा बढ़ा सकती है। दिल्ली के एक व्यापारी ने बताया, सरकार सिर्फ अरहर के 7-8 लाख टन अतिरिक्त कोटा की मंजूरी दे सकती है। वहीं, सरकार और सरकारी एजेंसियों के पास दूसरी दालों का स्टॉक है और वे जरूरत पडऩे पर सप्लाई बढ़ा सकती हैं।
भारत ने आयात पर लगा रखी है पाबंदी
दुनियाभर में अरहर की पैदावार कम रही थी, वहीं भारत ने पिछले कुछ साल से इसके आयात पर पाबंदी लगा रखी है। भारत मोजांबिक, मलावी और तंजानिया से अरहर के अलावा म्यांमार से उड़द और कनाडा, यूक्रेन और रूस से पीली मटर का आयात करता है। देश में पीली मटर की कम आपूर्ति को देखते हुए वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु से 4 लाख टन अतिरिक्त आयात की मंजूरी देने की अपील की गई थी। उन्होंने कहा, मानसून और सरकार की रणनीति से दालों के भाव पर बड़ा असर पड़ेगा। अगर मानसून कमजोर रहता है तो हमें आयात बढ़ाना पड़ सकता है। रबी सीजन में अरहर की पैदावार में 12-15 फीसदी तक गिरावट आई है। दिल्ली में दाल और अनाज के एक व्यापारी राजेश पहाडिय़ा ने बताया कि उत्पादन कम होने की वजह से पिछले दो महीनों में अरहर का भाव 65 फीसदी तक बढ़कर 5,600-5,700 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है। पहाडिय़ा ने कहा, हमें लगता है कि महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र में सूखे की स्थिति के कारण खरीफ सीजन में अरहर के बुआई क्षेत्रफल में कमी आएगी।
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बाजार में दलहन की कमी, दाम 100 के पार - उड़द दाल और पीली मटर जैसी दालों के भाव में भी तेजी